ये जो पिछले दिनों से बार बार , किसी न किसी बहाने से , अलग अलग माध्यमों में हिन्दू धर्म , सनातन मूल्यों , देवी देवताओं , प्रतीकों , मान्यताओं सभी को निशाने पर ले कर ,सिनेमा और साहित्य जगत के लोग जिस तरह की हिमाकत कर रहे हैं वो किसी भी सभ्य समाज के लिए अक्षम्य अपराध तो है ही साथ ही ये सब एक विशेष धर्म समाज के लोगों को आहत कर उन्हें उकसाने जैसा है।
कभी लक्ष्मी बम , तो कभी ताण्डव , कभी पुलिस और सेना की छवि को खराब करने की कोशिश तो कभी ताण्डव आदि नाम रख कर अपने ढके छिपे एजेंडे को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिशों में पिछले दिनों बहुत अधिक तेजी आई है। और ऐसा तब है जब इन सब साजिशों और करतूतों के विरूद्ध न सिर्फ जोरदार विरोध की आवाज मुखर की गई है बल्कि अब तो आपराधिक शिकायतों और मुकदमों से ऐसा करने वाले तमाम लोगों की अक्ल ठिकाने लगाई जा रही है।
ऐसा ही कुछ हाल ही में फिर देखने को मिला जब निर्माता निर्देशक साजिद नाडियाडवाला ने अपनी अगली फिल्म की घोषणा की। एक बार फिर से विवादित शीर्षक का सहारा लेकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश में फिल्म का नाम रखा गया ” सत्यनारायण की कथा ” .
इस बात का पता चलते ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स समेत तमाम सामाचार माध्यमों इसका इतना विरोध हुआ कि जल्दी ही फिल्म की टीम को अपनी गलती का अंदाज़ा हो गया और उन्होंने शीर्षक परिवर्तित करने की भी घोषणा कर दी। ज्ञात हो कि भगवान सत्यनारायण जी को विष्णु जी का सवरूप माना जाता है और हर हिन्दू परिवार में इनकी पूजा पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ की जाती है। ऐसे में इस नाम से कोई भी उल जलूल फिल्म बनाना , साजिश नहीं तो और क्या ??
चलते चलते एक सवाल और ये भी कि इन साजिद , आमिर , शाहरुख , सैफ को कलात्मकता , नए प्रयोग आदि का इतना ही कीड़ा काटे हुए रहता है तो फिर पहले उन्हें अपने मज़हब की कमियों , कुरीतियों , बुराइयों की ओर ध्यान देकर , उन्हें सामने लाकर ,उन पर स्टैंड अप वेब सीरीज़ और फ़िल्में बना कर जागरूकता लाने का काम करें। करना तो दूर , वे ऐसा सोच भी पाएंगे इसमें पूरा पूरा संदेह है।
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