मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में मंदिरों का सोना पिघलाने से राज्य सरकार को रोक दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के ट्रस्टी ही इस तरह का निर्णय ले सकते हैं, सरकार नहीं. राज्य की एम के स्टालिन सरकार ने लगभग 2138 किलो सोना पिघलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. राज्य सरकार के आदेश को कुछ याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ताओं ने इसे अवैध बताया था. मंदिर में श्रद्धालुओं की तरफ से चढ़ाए गए सोने का बिना सही ऑडिट किए हड़बड़ी में कदम उठा रही राज्य सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए थे.

चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पी डी आदिकेसावुलु की बेंच के सामने राज्य सरकार ने दलील दी थी कि उसे मंदिर में जमा सोने को गला कर गोल्ड बार में बदलने का अधिकार है. 24 कैरेट सोने के बार बैंकों में रख कर जो पैसे मिलेंगे उनका इस्तेमाल मंदिरों के विकास में होगा. ऐसी प्रक्रिया 50 साल से चल रही है. दूसरी तरफ इंडिक कलेक्टिव, ए वी गोपाला कृष्णन और एम के सर्वानन नाम के याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया था. उन्होंने हाई कोर्ट को बताया था कि 9 सितंबर को आया सरकार का आदेश न सिर्फ हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स एक्ट, ऐंसिएंट मॉन्यूमेंट्स एक्ट, जेवेल रूल्स आदि का उल्लंघन है, बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है.

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