साफ़ तौर पर डॉ उदित राज जातिवाद की ध्रुवीकरण की राजनीति कर दलितों के मसीहा बनकर उभरे है , अन्य दलित नेताओ से बहोत आगे निकल चुके है । हो सकता है कोंग्रेस अध्यक्ष पद की दावेदारी भी कर सके लेकिन फ़िलहाल अन्य किसी भी दलित नेताओ पर भारी पड़ते नज़र आते है ।

हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए १९ वर्षीय किशोरी मनीषा जो कि एक दलित समुदाय से आती है, का  कथित बलात्कार एवं जघन्य हत्या के मामले में ट्विटर पर अपनी राय रखते हुए कांग्रेस के दलित कांग्रेस भावी अध्यक्ष पद के दावेदार एवं कोंग्रेस् के सवर्ण-दलित-मुस्लिम समर्थक के बीच समान अति लोकप्रिय नेता डॉ उदित राज ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री योगी आदित्यनाथ पर सत्ता की ताक़त, भेदभाव व जातिवादी होने का इशारा किया है। 

लिखते है “ कौन कहता है बलात्कारी कि जाती नहीं होती जो कहते है बलात्कारी कि जाती नहीं होती वो इस केस कि देखे और अपनी सोच को दुरुस्त करे, बलात्कार करने वाले चारों सवर्ण थे।” 

उदित राज यही नहीं रुके योगी आदित्यनाथ पर और आक्रामक होते हुए कहा “चारों आरोपी योगी बिष्ट के जाती का है और पिडिता दलित। इसलिए मीडिया में खबर नहीं आ रही।”

“ये इनकी विचारधारा है की ये पहले क्षुद्र थे, ग़ुलाम थे, उसी स्थिति में इन्हें वापस पहुँचा दिया जाए। ये इनकी प्रयोगशाला है की ७०-७५ साल पहले जहाँ थे वही इनको पहुँचा दे वरना दलितों के साथ ही क्यों होता है ये सब?” जिसे कांग्रेस की अफ़िशल हैंडल ने भी अपने थ्रेड में उदित राज के हवाले से रखा है।

अपने एक और ट्वीट में गाय एवं गौ भक्तों पर तंज करते हुए कहा “मनीषा दलित लड़की को आनन फ़ानन में जल्दी जला दिया गया। शुक्र है गाई नहि मारी गयी थी वरना लाखों के बीच जलाते, सम्भव है कई शहरों में अस्थि कलश घुमाते”।

ट्विटर पर सेयर किए अपने विडीओ व ट्वीट में भाजपा पर हमला करते हुए भाजपा पर दलित और मुसलमान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए लिखा “भाजपा ने गुजरात में प्रयोग मुसलमानो को ठिकाने लगाने में किया। अब वही प्रयोग उप्र में दलितों के साथ किया जा रहा है। मनीषा की दफ़न की आग ठंडी नहीं हुई थी की बलराम पुर में दलित लड़की के साथ फिर वैसा हुआ ”।

ज्ञातव्य हो बलरामपुर घटना में आरोंपी शाहिद पुत्र हबीबुल्ला एवं साहिल पुत्र हमीदुल्लाह जो एक मुस्लिम मज़हब से आते है एवं पुलिस हिरासत में है

राजस्थान बलात्कार मामले में डॉ उदित राज का कोई ट्वीट या प्रतिक्रिया अभी तक संज्ञान में नहि ।

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