साल २०२० और भारतीय संविधान के ७० बरस पुरे, दलित फिर भी अपाहिज ? संविधान में आरक्षण है, दलितों के लिए विशेषाधिकार है फिर भी हालात नहीं बदले क्यों ? क्या...
ये इनकी विचारधारा है की ये पहले क्षुद्र थे, ग़ुलाम थे, उसी स्थिति में इन्हें वापस पहुँचा दिया जाए। ये इनकी प्रयोगशाला है की ७०-७५ साल पहले जहाँ थे वही इनको पहुँचा दे