ताजमहल में कुछ हिन्दू लड़कों ने भगवा झंडा क्या लहरा दिया, तमाम वामपंथी-सेक्युलर-टुकड़े टुकड़े गैंग इकठ्ठे होकर हल्ला मचाने लगे। अब सवाल उठता है कि तथाकथित ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है जिसकी देखरेख पुरातत्व विभाग करता है तो फिर ये बताइए कि सरकारी पैसे पर पलने वाली इन इमारतों में नमाज़ किस हक़ से पढ़ी जाती है? अब चूंकि भारत एक सेक्युलर देश है इसलिए अगर यहां नमाज पढ़ी जा सकती है तो फिर पूजा और अरदास क्यों नहीं हो सकती है?


 बरसों से तुष्टिकरण के तराजू पर हिंदू धर्म को नीचा दिखा रही सरकारों को ये सोचना चाहिए कि आखिर पुरातत्व विभाग के पैसे से जिस इमारत की देखरेख की जा रही है उसमें नमाज क्यों पढ़ी जा रही है?देश में बहुसंख्यक हिन्दू आबादी टैक्स जमा करती है उस पैसे से पुरातत्व विभाग चलता है और उसी पैसे से ताजमहल जैसी इमारतों की देखरेख होती है,तो भला बहुसंख्यक आबादी को ताजमहल जैसी इमारतों में पूजा करने से क्यों रोका जाना चाहिए? 


एक तथ्य ये भी है कि हिन्दू इस इमारत को तेजोमहालय यानि मंदिर मानते हैं। तो ऐसे में कुछ लड़कों सीने वहां भगवा झंडा फहरा भी दिया तो फिर इस पर इतना हल्ला मचाने की क्या जरूरत थी?

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