जब से अफगानिस्तान में कट्टरपंथी तालिबान का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है तब से वहां पर अन्य समुदायों के रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है । दिल्ली के सीएए प्रोटेस्ट और किसान आंदोलन में सबने देखा कि किस तरह से सिख समाज के कुछ लोग नकली तस्वीरें खिंचवाते हुए दूसरे समुदाय से दोस्ती की नकली पींगे बढ़ा रहे थे, अब हाल ही में अफगानिस्तान से जो घटना सामने आ रही है उससे इन नकली लोगों की आंखें खुल जानी चाहिए। तालिबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के पख्तिया में एक गुरुद्वारे में सिख धर्म के धार्मिक झंडे निशाने साहिब के उखाड़ने की घटना सामने आई है जिसका सिख संगठनों ने पुरजोर विरोध किया है। घटना पक्तिया प्रांत की है जहाँ गुरुद्वारा थाला साहिब, चमकानी की छत पर लगे सिख धार्मिक ध्वज निशाने साहिब को कथित तौर पर तालिबान द्वारा उखाड़ दिया गया।

गुरुद्वारा थाला साहिब हमेशा से तालिबानियों के निशाने पर रहा है। बीते साल इस गुरुद्वारे से निदान सिंह सचेदवा नामक एक व्यक्ति को यहां से अगवा कर लिया गया था। हालांकि, सचदेवा को अफगान सरकार और समुदाय के बड़े नेताओं के प्रयासों के बाद तालिबान (Taliban) से 22 जून, 2020 को रिहा कराया गया था। बीते साल मार्च में ही काबुल में एक आतंकी हमले में सिख समुदाय के 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों के अनुसार इस वारदात में हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था। 
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