हर मुसलमान आतंकवादी नही होता…. ये पहला जुमला है, जो हमने बहुत सुना है, और कम मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में कई बार हमको ऐसा लगता भी है कि यही सच है, पर क्या वास्तव में ऐसा है? केवल 10% मुसलमान ही हैं, जो भटके हुए हैं, जो इस्लाम को नही जानते, और उसे बदनाम कर रहे हैं, ये है वो दूसरा जुमला जो हम सुनते आ रहे हैं। तीसरा और सबसे भयंकर जुमला जो हम सुनते हैं, वो ये की “आतंकवाद का कोई धर्म नही होता”

उपरोक्त बातें कुछ और नही बल्कि विक्टिम कार्ड का प्रारूप है, विक्टिम कार्ड, जो इस्लाम की स्थापना के समय से यानी लगभग 1500 वर्षों से खेला जा रहा है, ये कार्ड कुरान के साथ ही उतरा था। मोहम्मद के नवासे को किसी RSS कार्यकर्ता ने थोड़े मारा था, उसको ज़िबा किया गया था, वो भी कलमा पढ़ पढ़ कर, कमाल की बात है कि खुद ही मारा और खुद ही छाती पर ब्लेड मार मार कर उसे पीटते हैं, या हुसैन हम न हुए… जो हुए थे उन्होंने क्या उखाड़ लिया भाई? रहाबदत्त नाम का ब्राम्हण राजा न रहा होता तो ये क्लेश कर्बला में ही कट गया होता पर क्या करें? शरण में आने वालों की रक्षा के लिए जीवन देने वालों का देश रहा है भारत, वो विक्टिम बनकर आये थे जो आज दुनिया मे इस्लाम काबिज़ करना चाहते हैं, वो ग़ज़वा ए हिन्द का सपना देखते हैं, उसी हिन्द को फतह करने का जिसने इनके बच्चो और औरतों को शरण देकर बचाया था, ये हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का नारा बुलंद करते हैं और हम लालायित होकर इनसे लिपट जाते हैं और भूल जाते हैं कर्बला को, वहां तो इनके उसी पैगम्बर का नवासा था जिसके कार्टून मात्र से ये बौखला कर गला काट डालते हैं, उस नवासे को काट डाला तो फिर तुम्हारी क्या औकात है? फिर भी कोई गलतफहमी हो तो कुरान की एक प्रति ले आइये और सूर अल तौबा की आयत संख्या 5-6 पढ़ लीजिए, आपकी सुपारी अल्लाह ने खुद मोहम्मद के हाथों दे रखी है, आप काफ़िर और आपके घर की बहन बेटियां लूट का माल हैं। तो ये गलतफहमी भी मत पालिये की आतंकवाद का कोई धर्म नही होता, ये सब धर्म के नाम पर ही हो रहा है, आपका वाजिब ए कत्ल होना वास्तव में एक धार्मिक आदेश है जो अल्लाह ने कुरान के ज़रिए दिया है।

अब आइये वापस मुद्दे पर, इन जिहादियों की असली ताकत सेक्युलर समाज है, इनकी ताकत 20% जिहादी नहीं बल्कि 80% वो लोग हैं जो मोहम्मद के समय से बेचारे बनकर समाज मे अपना काम करते रहते हैं, वो बम नही फोड़ते बल्कि बम फोड़ने वालों के पक्ष में आधी रात में अदालत खुलवा देते हैं। वो फतवा नही देते बल्कि फतवे पर अमल करते हैं दूसरे शब्दों में कहें तो उसे लागू करवाते हैं, मदरसे के लिए चंदा मांगने कोई कट्टर नही आता बल्कि यही बेचारे लोग आते हैं और एक बार मदरसा बन गया तो वहां लव जिहाद, जमीन जिहाद इत्यादि का प्रारूप तैयार करते हैं, आप ताकतवर हैं तो आपके सामने इस्लाम को गाली भी दे देंगे क्योंकि अल ताकिया भी इस्लाम में जायज़ है यकीन न हो तो इसके विषय मे पढ़ लीजिएगा।

समाधान

समस्या को समझ कर ही उसका उपचार संभव है, समस्या 10% नही हैं, उनको आप आसानी से मार देंगे पर 90% का क्या? वो तो इन्हें निरंतर पैदा करते रहेंगे पालेंगे, पोसेंगे और आपके ऊपर छोड़ देंगे, समस्या ये 90% विक्टिम कार्डधारी और 60% सेक्युलर हिन्दू समाज है जो बचपन से “मुंह मे राम बगल में छुरी” पढ़ता रहा है पर “मुंह मे अल्लाह बगल में बम” नही देखता। मोदी को वोट न देने का फरमान कोई पाकिस्तान से नही आता, जनसंख्या विस्फोट का आईडिया भी कोई आतंकवादी बंदूक की नोक पर नही देता, बहन का पजामा और बिना मूंछ, बकरा नुमा दाढ़ी भी को आतंकी नही रखवाता, आपकी सड़कें रोक कर नमाज़ पढ़ने की सलाह भी आतंकी नही देता, पर ये सब होता है ना? समस्या यहां है, हम अफ़ज़ल को फांसी देकर खुश होते हैं पर ये नही देखते की हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा का नारा किस ताकत की बदौलत दिया जा रहा है, अतः करबद्ध निवेदन है कि यदि आप पर सेक्युलरिज्म का भूत सवार है तो मुझसे मिलिए मैं उतार दूँगा, और थोड़ा ध्यान वेल्डिंग वाले, फल वाले, बाल काटने वाले और बहन की सलवार और बाप का कुर्ता पहनने वाले अघोषित आतंकियों पर भी दीजिये।

उनकी पहचान उनके कपड़ों से हो जाती है ये मोदी जी ने यूं ही नही कह दिया था, वो एक इशारा था जिसे समझकर हमें उन ताकतों को कमज़ोर करना होगा जो इस देश को खोखला कर रही हैं।

सरकार जब NRC लाएगी तब लाएगी, जब जनसंख्या नियंत्रण कानून आएगा तब आएगा पर इन अघोषित आतंकियों का आर्थिक बहिष्कार और हिन्दू समाज की एकजुटता हमारे हाथ मे है जिसे हमें आज से ही अपनाना होगा।

।।जय श्रीराम।।

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