इस वीडियो के माध्यम से देखें कैसे लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है।

आखिर क्यों किया जाता है हिन्दू देवी देवता का अपमान:
यह मुगल काल से ही चल रहा है हिन्दू बहुसंख्यक है इसलिए मुगल से लेकर आजतक हिन्दू विरोधी मानसिकता को अपनाना बुद्धिजीवी हिंदुओं ने एक साजिश के तहत अन्य हिंदुओं पर थोपा है।
आजादी के बाद से बॉलीवुड हो या मीडिया हाउस या इतिहास के किताबों में भद्दे दिखने वाले, क्रूर विधर्मी, बलात्कारी मुघलों , टीपू सुल्तान को प्यार का मसीहा बता कर सम्मानित किया है और वो करने वाले भी हिन्दू सवर्ण इतिहासकार ही है।
हमारा देश 1000 वर्षों की गुलामी झेल चुका है और आज भी कई हद तक वैचारिक गुलामी के जंजीरों में जकड़ा हुआ है।
क्या सोशल मीडिया में हंगामा करने से यह खत्म होगा? क्या सरकार इसे बंद कर सकती है? नहीं , कभी नहीं कर सकती है , एक माध्यम बंद होंगे फिर वो कोई और माध्यम बनायेंगे और यह चलता रहेगा।
वह चाहते ही है कि आप क्रोधित होकर प्रतिक्रिया दें । आखिर आपको पता कैसे चलता है कि यह मूवी खराब है या खराब दिखाया गया है। देवी देवताओं का अपमान हुआ यह आपको कैसे पता। आपको इसलिए पता लगा कि आपने देखा और उनका मकसद पूरा हो गया भले ही आप चिल्लाते रहें पर उनको जो संदेश देना था वह कामयाब हो गए।

आखिर कैसे किया जा सकता है इसका अंत:

इसका अंत सिर्फ और सिर्फ एक ही तरीके से किया जा सकता है और वह है आर्थिक बहिष्कार। यह एक लॉबी है जो बहुत ऊपर तक पहुंच रखती है। आप आज मूवी बैन कर देंगे और कल वही कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सैफ अली खान या दीपिका पादुकोण से विज्ञापन करा देगी तो क्या आप वैक्सीन नहीं लगाएंगे।
कल टाटा नमक और अन्य नमक की कंपनी इनको विज्ञापन देगी तो क्या आप नमक खाना छोड़ देंगे। नहीं छोड़ सकते।
आपको इसका खेल समझना होगा जो इनकी लॉबी है उसमे मूवी से लेकर विज्ञापन तक के लिए कई तरह की डील होती है करोड़ों रुपए दिए जाते है और क्या कंपनी मुफ्त में देती है नहीं वह करोड़ों रुपए उस सामान में दाम लगा कर वसूल किया जाता है जिसे हम और आप खरीदते हैं। विज्ञापन लेने के लिए भी कई डील करने होते हैं उसमे कमीसन देना होता है। यह एक बहुत बड़ा विषय है। इसपर आने वाले समय में विस्तृत जानकारी दूंगा।
तत्काल आपको सिर्फ और सिर्फ इनका आर्थिक बहिष्कार करना होगा और उन सभी वस्तुओं के विकल्प तालाशने होंगे फिर इनके द्वारा विज्ञापन दिए गए सामान का बहिष्कार करना होगा। इनकी हर मूवी का बहिष्कार करना होगा। आज माफ करेंगे 2 महीने बाद फिर वो अलग मूवी बना देंगे और आप फिर प्रतिक्रिया देंगे। वो कहेंगे हिन्दू सहनसील नहीं रहा अब और आपको ही फासीवादी कह देंगे। इनको बचाने आप और हमारे समाज के मीडिया गैंग आ जाएंगे। आप उनसे कहेंगे और धर्म के खिलाफ बनाओ, क्या सामाजिक कुरीतियां हिन्दू धर्म में ही है या फिर अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब हिन्दू आस्था को ठेस पहुंचाना है। इस तरह के वही घिसे शब्द आपके द्वारा हमेशा की तरह एक बार और दोहरा दिया जाएगा। बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड , विदेशी फंडिंग का मामला लगातार आता रहा है ये फंड आपको तो मिलेगा नहीं और आत्मनिर्भर भारत करने वाले लोग इस पर फंडिंग करेंगे नहीं फिर आप कैसे बनाओगे मूवी जहां दूसरे धर्मो की कुरीतियों की बात हो सके।

कुछ कलाकारों की लिस्ट जिनको अभी बहिष्कार कर रहा हूं मैं और यह मेरा व्यक्तिगत राय है । मैं किसी को दवाब नहीं डाल रहा हूं कि आप भी बहिष्कार करें।
सलमान खान, आमिर खान, सैफ अली खान, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अनुष्का शर्मा, ऋचा चड्ढा, तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, स्वरा भास्कर, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह , शाहरुख खान की मूवी का आजीवन बहिष्कार करें और इनके द्वारा विज्ञापन दिए गए उत्पाद और सेवा का बहिष्कार करें।

और हां सोचिए क्या चंद मुगल में इतनी हिम्मत थी जो करोड़ों की संख्या में हिंदुओं पर राज करते। ना उनके पास हथियार थे ना लोग थे। असल में मुगल या ब्रिटिश या कांग्रेस सिर्फ अफवाह है। सोचिए 56 इस्लामिक देश जहां एक पाकिस्तान ने चोरी से परमाणु बम बनाया वो भी आज के आधुनिक काल में तो हजारों वर्ष पहले मुगल की क्या औकात रही होगी।
असल में हमारे देश के ही राजाओं ने अलग रियासत को अपनाने के लिए मुघलों का सहारा लिया और एक हिन्दू राजा दूसरे से लड़ते रहे हैं। आजादी के बाद यह काम हिन्दू बाम पंथी इतिहासकारों ने किया जिसे बौद्धिक आतंक कहा जाता है। मीडिया हाउस या बॉलीवुड में भी आज सबसे ज्यादा सवर्ण ही हैं जिसमे 80% लोग तांडव जैसी मूवी या वेब सीरीज का समर्थन करते दिखेंगे। जो बॉलीवुड दलित आदिवासी न्याय की बात करता है क्या किसी दलित हीरोइन या हीरो को मुख्य भूमिका दी। क्या कोई सुपर स्टार दलित है, रणवीर सिंह, कपूर, अनुष्का शर्मा, दीपिका पादुकोण , अमिताभ बच्चन , अक्षय कुमार, अजय देवगन, खान , है कोई एक भी दलित । बॉलीवुड हो या मीडिया हाउस दलितों को कभी आगे नहीं बढ़ने देते हैं पर झूठ परोस परोस कर ब्राह्मणवाद, मनुवाद जैसे शब्द डालकर दलित सवर्ण में जहर घोलने का काम करते हैं बिना किसी ठोस तथ्य के।

देशभक्त लेखक।
अमित कुमार

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