केंद्र से लेकर राज्य तक , भ्रष्टाचार , घपले , घोटाले बेईमानी के विरूद्ध मोदी जी  और योगी जी ने जो जुगलबंदी बिठा रखी है उसने तो लालची घूसखोरों  और भ्रष्टाचारियों की दुनिया में सुनामी सा कहर ला दिया है।  एक ने पहले ही कह दिया है न खाऊँगा न ही किसी को खाने दूँगा , झोला उठा कर चल दूँगा , जितनी भी देश सेवा करानी हो उसके लिए तत्पर हूँ , दूसरे ने तो मानो तन ही नहीं मन पर भी भगवा धार लिया है और और जैसे सौगंध उठा ली हो कि अब राम की नगरी अवध में पाप का कोई भी कारोबार तो न चल पाएगा।  

योगी आदित्यनाथ सरकार के , सख्त क़ानून और उसे पालन किये जाने की दृढ़ प्रतिबद्धता ने पिछले दिनों में देश की सबसे बड़ी आबादी को सम्भालने वाले राज्य को बखूबी और बहुत ही जरूरी तौर  पर न सिर्फ संभाला बल्कि आज देश में तेज़ी से विकास पथ की ओर बढ़ने वाले राज्यों में से अग्रिम पंक्ति में है उत्तर प्रदेश।  

प्रदेश में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के अपने इसी मुहीम को अंजाम देने के दौरान , पिछले दिनों  प्रदेश के सभी महकमों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की पूरी जानकारी , सेवा पुस्तिका , खाता आदि को कम्प्यूटरीकृत किए जाने की पहल शुरू हुई तो बहुत से विभागों में चल रही बहुत सारी खामियाँ और भ्रष्टाचार भी निकल कर सामने आया।  इसमें सबसे व्यापक था , शिक्षा विभाग के पास लगभग 18 , हज़ार शिक्षकों की कोई जानकारी का नहीं होना जो पिछले कई वर्षों से प्रदेश के विद्यालयों में नियुक्त होकर वेतन पा रहे हैं।  

प्रदेश के सारे विद्यालयों में नियुक्त सभी शिक्षकों के नाम और सारी जानकारी शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलबध कराए जाने के लिए नियत तिथि  के बीत जाने के बावजूद भी , 18 हज़ार शिक्षकों की जानकारी न उपलब्ध हो पाना एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है जिसकी जांच अब विशेष एजेंसी को सौंप दी गई है।  

याद हो कि पिछले दिनों ऐसी बहुत सारी घटनाएं अलग अलग राज्यों में देखने पढ़ने को मिली थीं जिसमे नकली नाम , जानकारी और ऐसे ही किसी आधार पर लोग विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी नियुक्ति दिखा कर सालों तक वेतन पाते रहे झारखंड में तो एक व्यक्ति के आठ आठ विभागों में कार्यरत होकर वेतन उठाने की बात का खुलासा हुआ था।  

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