दूध में पानी मिलाकर पीने वाले कुछ गैंगबाज अमूल प्रोडक्ट के बहिष्कार की मुहिम चला रहे हैं। दरअसल जिस तरह लगातार अमूल कम्पनी अपने विज्ञापनों के माध्यम से देश की तरफदारी करती है इससे ‘गैंग विशेष’ के मसीहाओं को मिर्च की जलन महसूस हो रही है। ‘इंडिया टुडे’ के पूर्व इनपुट हेड रहे रिफत जावेद को समस्या है कि अमूल कम्पनी ‘रिपब्लिक भारत’ और ‘सुदर्शन टीवी’ को क्यों विज्ञापन दे रही है?

इन्हें समस्या है कि अमूल कम्पनी सर्जिकल स्ट्राइक के समर्थन में विज्ञापन क्यों बनाती है? इस जमात को समस्या है कि अमूल कम्पनी ‘चीनी कम्पनियों’ के बहिष्कार पर विज्ञापन क्यों बनाती है? आखिर ये माइंडसेट क्या कहता है कि जब भी कोई कम्पनी भारत हित की बात करती है ये जमात नाक-मुंह सिकुड़ता हुआ अपने असली रंग में आ जाता है। सोशल मीडिया पर जारी इस ट्रेंड की धज्जियां उड़ाने के लिए भारत की जनता उतर गई है और Amul के समर्थन में Trend चलाकर इस ‘गैंग माफिया’ को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।

आपको बता दें कि अमूल प्रोडक्ट्स के विरोध के पीछे इन लोगों की मानसिकता में जहर घुला हुआ है क्योंकि यह जानते हैं कि अमूल गुजरात का ब्रांड है और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खासी दिलचस्पी अमूल की सफलता में रही है। प्रधानमंत्री अक्सर अमूल की सफलता के किस्से उद्यमियों को सुनाते रहे हैं और गुजरात का ब्रांड व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष लगाव अमूल से होने के चलते ही अमूल डेयरी प्रोडक्ट के खिलाफ ये लोग मुहिम चला रहे हैं। अमूल से इन्हें नफरत इसलिए है क्योंकि अमूल प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में मील का पहला पड़ाव है और अभी आगे इस अभियान के लिए लंबी लड़ाई बाकी है। 1946 में बनी अमूल कंपनी गुजरात की लाखों परिवारों को रोजी रोटी कमाने का मौका देती है , अमूल के लिए विशेष तौर पर लाखों महिलाएं प्रतिदिन काम करती हैं और इसलिए अमूल कंपनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में विशेष दर्जा रखती है।

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