दिल्ली में रोहिंग्याओं का मुद्दा एक बार फिर गर्माया हुआ है। दरअसल ये सब शुरु हुआ केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट से जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मोदी सरकार ने रोहिंग्याओं को फ्लैट्स में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। सोशल मीडिया पर हरदीप सिंह पुरी के इस बयान को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगे, जिसके बाद गृह मंत्रालय को सामने आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। होम मिनिस्ट्री ने कहा, “गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुस्लिमों को EWS फ्लैट्स में बसाने का कोई आदेश नहीं दिया है। दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को नई जगह शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था। रोहिंग्या मुस्लिमों का प्रत्यर्पण किए जाने को लेकर गृह मंत्रालय पहले ही सम्बंधित देशों से संपर्क कर चुका है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अवैध घुसपैठियों को या तो डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है या फिर उन्हें उनके देश भेजा जाता है। साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार ने उक्त लोकेशन को अभी तक डिटेंशन सेंटर नहीं घोषित किया है, लेकिन उन्हें तुरंत ऐसा करने का आदेश दिया गया है.
Illegal foreigners are to be kept in Detention Centre till their deportation as per law. The Government of Delhi has not declared the present location as a Detention Centre. They have been directed to do the same immediately.
— गृहमंत्री कार्यालय, HMO India (@HMOIndia) August 17, 2022
तो इन सबके बीच हमारा सवाल ये है कि सरकार किस डिटेंशन सेंटर की बात कर रही है? क्योंकि खबरों के मुताबिक तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने डिटेंशन सेंटर घोषित ही नहीं किया है. और तो और जो आम आदमी पार्टी अवैध रोहिग्याओं को दिल्ली में बसाने का काम कर रही है उसी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि “ये रोहिंग्या पूरे देश और दिल्लीवासियों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। हम दिल्लीवासी तो कम से कम इनको यहां पर नहीं बसने देंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार डिटेंशन सेंटर बनाकर दिल्ली के टैक्स का पैसा क्यों लगाए, केंद्र सरकार उन्हें वापस डिपोर्ट करें।”.
साभार-NBT
अब बताइए यहां तो सौरभ भारद्वाज कुछ अलग ही खेला कर रहे हैं. इन सबके बीच हमारा सवाल वहीं का वहीं अटका हुआ है कि कहां है डिटेंशन सेंटर जिसके बारे में गृह मंत्रालय ने कहा था कि जब तक रोहिग्याओं को डिपोर्ट नहीं किया जाता तब कर उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा.
दरअसल ये रोहिंग्या देश के अलग-अलग हिस्सों में अवैध रूप से झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. पहले ये लोग जमीन कब्जा करते हैं फिर धीरे-धीरे वहां पर तमाम सुविधाओं से लैस होकर रहने लगते हैं. राजधानी दिल्ली में हालत बेहद गंभीर है. यहां के कुछ इलाकों जैसे विकासपुरी, नजफगढ़, सीमापुरी रेलवे स्टेशन, जहांगीपुरी, भलस्वा डेयरी जैसे इलाके में अवैध घुसपैठिये की बड़ी तादाद है। इसके अलावा श्रम विहार, कालिंदी कुंज भी अवैध घुसपैठिये रहते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात ये कि उन झोपड़ियों के अंदर हर सुविधाएं मौजूद होती हैं. और यही से रोहिंग्या मुसलमान तमाम अपराधों को अंजाम देने का काम भी करते हैं . इन्हें किसी भी हाल में रोहिंग्या शरणार्थी नहीं कहा जा सकता ये घुसपैठिए हैं वहीं जहां ये रोहिंग्या घुसपैठिये ऐशगाह में रहते हैं वहीं पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी दिल्ली के मजनूं का टीला इलाका हो या आदर्श नगर कैंप, ये बड़ी ही अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।
कुछ दिनों पहले KreatelyMedia ने गुरुग्राम-मानेसर में रह रहे बंगलादेशियों के भागने की खबर की पड़ताल की थी. हैरान करने वाली बात ये थी कि यहां से करीब 50 रोहिंग्या मुस्लिम परिवार रातों-रातो भाग निकले. हजारों रोहिंग्या बंगलादेशी अपना सामान और झुग्गियां छोड़कर गायब हो गए हैं। यह रोहिंग्या बांग्लादेशी कहां गायब हुए है इसका अभी तक किसी को पता नहीं है। इन्हें यहां बिजली, पानी सब मिल रहा है बकायदा बिजली का मीटर लगा हुआ है, डिश टीवी लगी हुई है. अब बताइए क्या इसे डिटेंशन सेंटर कहा जा सकता है ? सवाल ये भी कि इन्हें ये सारी सुविधाएं कौन मुहैया करवाता है ?
वहीं KreatelyMedia ने अपनी पड़ताल में पाया था कि वहां रहने वाले रोहिंग्या बांग्लादेशियों ने अपने आधार नंबर और तमाम जरूरी सरकारी दस्तावेज बनवाए हुए थे लेकिन सभी दस्तावेज अवैध है। हैरानी की बात यह है कि रोहिंग्या बांग्लादेशी लोगों के लिए यह सरकारी दस्तावेज बनवाने का काम कौन लोग करते हैं? इन्हीं अवैध दस्तावेजों के सहारे यह लोग देश के तमाम इलाकों में सफलतापूर्वक छिपकर अपनी आबादी बढ़ाते हैं। कई रिपोर्ट ये बताते हैं कि PFI जैसे संगठन इनका पालन पोषण करते हैं.
आपको याद होगा दिल्ली में इसी साल जहांगीर पुरी इलाके में हनुमान जयंती के मौके पर हिंदुओं की शोभायात्रा में हुए हमले में रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ सामने आया था.
क्या है डिटेंशन सेंटर ?
डिटेंशन सेंटर यानी हिरासत केंद्र जिसमें ऐसे अवैध विदेशी नागरिकों को रखा जाता है जो भारत के विदेश कानून, 1946 के सेक्शन 3(2)(सी) के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी अवैध नागरिक को भारत से बाहर निकाल सकती है। देश के बाहर निकालने तक की प्रक्रिया तक ऐसे लोगों को इन्हीं डिटेंशन सेंटरों में ही रखा जाता है। जिन लोगों के पास देश में रहने के दस्तावेज मौजूद नहीं होते और ट्रिब्यूनल/अदालतें विदेशी घोषित कर देती हैं। उन्हें इन केन्द्रों में रख जाता है। बाद में उनके देश वापस भेज दिया जाता है।
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