अर्नब गोस्वामी एक जाने माने न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ.. इन्हें मुंबई पुलिस ने गिरफ्तारी किया. इनकी गिरफ्तारी इस तरह से की गई, जैसे पुलिस ने किसी आतंकवादी को पकड़ा लिया हो, जिसने देश के साथ गद्दारी की हो, और सीना चौड़ा करके पुलिस उसे घसीटते हुए घर से बाहर निकाल रही हो.

एक व्यक्ति जो एक पत्रकार है, एक चैनल का प्रमुख है और लोगों के लिए एक आवाज बन गया है, आप उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं.. एक मामले की जाँच करना जो इसे फिर से खोलकर बंद कर दिया गया है – हर कोई जानता है कि महाराष्ट्र सरकार ऐसा क्यों कर रही हैं.

अर्नब के घर पुलिस का बिना बताए एकदम दबे पांव आना.. बिना किसी दस्तावेज, बिना किसी पूर्व सूचना के दर्जन भर के पुलिस अचानक आती है, घसीट कर घर से बाहर निकालती है. इस भयावह दृश्य को देखकर पूछता है भारत कि महाराष्ट सरकार को ऐसी क्या मुसीबत आ गई, कि आनन फानन में मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार करवाया गया. गिरफ्तारी का कोई ठोस बहाना नहीं मिला, तो पुरानी फाइल को ही जमीन से खोद दिया गया. आखिर इसका जवाब कौन देगा?

आज पूछता है भारत कि आखिर अर्नब की गिरफ्तारी क्यों? वो भी साल 2018 केस के लिए, जो पहले ही बंद हो चुका था..अर्नब से ऐसी क्या दुश्मनी जो गिरफ्तार करने के लिए बंद केस को दोबारा खोदा गया? आखिर 2018 केस का बहाना बनाकर अर्नब को किस बात की सजा दी जा रही है? सवाल उठाने की? सच को उजागर करने की? पालघर की या फिर सोनिया सेना का राज खोलने की सजा?आखिर अर्नब की आवाज क्यों दबाई जा रही? अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करना यह बताता है कि कांग्रेस और महाराष्ट्र सरकार की मानसिकता किस तरीके से प्रजातंत्र का गला घोटने के लिए उतारू है..

अर्नब की गिरफ्तारी ये भी बताती है कि महाराष्ट्र सरकार की तानाशाही किम जोंग उन और शी जिनपिंग के टक्कर की है, जहां सरकार के खिलाफ बोलने पर मुंह बंद कर दिया जाता है… लेकिन उद्धव ठाकरे भूल गए हैं की यह भारत हैं यहां लोकतंत्र चलता है उनकी मनमानी बहुत दिन नहीं चलेगी.. अगर उद्धव सरकार को मनमानी चलानी है, अपनी छवि सुधारनी है तो इस तरह से किसी के साथ जबरदस्ती करना गलत है.. उन्हें खुद अलग-अलग मीडिया संस्थान में आना चाहिए, और खुलकर अपनी बात रखनी चाहिए.. ऐसी गिरफ्तारी साबित करती है कि यह केवल उद्धव ठाकरे के पारिवारिक मामलों का बदला है…..यह पत्रकारिता प्रजातंत्र पर भारी आघात है जिसके बारे में भारत की जनता को आगे आना चाहिए..

अर्नब के सपोर्ट में सड़क पर उतरे लोग

अर्नब गोस्वामी का समर्थन करते हुए और प्रेस की आजादी पर हुए हमले के खिलाफ, देश भर के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. लोग अर्नब की तत्काल रिहाई की मांग कर रहे हैं. जयपुर से असम और जम्मू से मुंबई तक लोग रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क पर महाराष्ट्र सरकार के दोहरावदार हमलों की निंदा करने के लिए एकत्र हुए हैं.. अर्नब की रिहाई की मांग देश भर में गूंज रही है.

प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है- जिस तरह से उसके साथ व्यवहार किया गया है, वह एक अपराधी की तरह लगता है जिसने राष्ट्र के साथ विश्वासघात किया हो. यह शर्मनाक है..अर्नब को तुरंत रिहा करना होगा अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने होंगे..

लखनऊ में प्रदर्शनकारियों ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया और कहा कि जिस तरह से पुलिस ने एक पत्रकार के साथ व्यवहार किया है, वह एक आम आदमी के साथ नहीं होना चाहिए.. दिल्ली के मान सिंह रोड में 24 अकबर रोड पर कांग्रेस के मुख्यालय तक मार्च करने वाले 100 से अधिक लोगों की विशाल रैली देखी गई.

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