अधिवक्ता झा आगे बोले, ‘मूलत: समलैंगिकता चर्चा का विषय हो ही नहीं सकती; कारण समलैंगिकता एक रोग है जिससे समाज के कुछ वर्ग ग्रस्त हैं । जिसप्रकार कोरोना के लिए सरकार ने लस बनाई, उसीप्रकार इस रोग से ग्रस्त लोगों को इलाज की आवश्यकता है । कल देश के लाखों चोर कहने लगे ‘चोरी करना, हमारा संवैधानिक अधिकार है, तो उनका ऐसा संवैधानिक अधिकार हो ही नहीं सकता । इसीप्रकार समलैंगिकता के विषय में भी है । समलैंगिकता के समर्थन में याचिका न्यायालय में प्रविष्ट करनेवाले कौन हैं ? इसका सरकार को पता लगाना चाहिए ।
इतिहास की अध्ययनकर्ता मीनाक्षी शरण ने कहा, समलैंगिकता रोम एवं ग्रीस देशों से आई विकृति है । इसीसे एड्स रोग की उत्पत्ति हुई है । समलैंगिकता को मान्यता देकर पवित्र विवाहसंस्था एवं कुटुंबव्यवस्था पर चारों ओर से आघात किए जा रहे हैं । हिन्दू धर्म में विवाह के समय पुरुष एवं स्त्री के मिलन को शिव–शक्ति का मिलन माना गया है । धर्म में जो चार ऋण बताए हैं, उनमें से पितृ ऋण चुकाने के लिए संतान की आवश्यकता होती है । वह केवल विवाह के माध्यम से ही साध्य हो सकता है । धर्म का योग्य पालन हो सकता है । वर्तमान में भटकी हुई युवा पीढी को समलैंगिकता के माध्यम से दिशाहीन करने का प्रयत्न किया जा रहा है । समाज में ऐसी अप्राकृतिक एवं गलत बातों का विरोध करने की आवश्यकता है ।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
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