देशभर में 154 स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया

‘सुखस्य मूलं धर्मः।’, अर्थात सुख का मूल धर्माचरण में है । यदि समाज और राष्ट्र को सुचारू रूप से चलाना है तो सभी क्षेत्रों में धर्म की स्थापना आवश्यक है । व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन में धर्म का अधिष्ठान आने से वह व्यक्ति नीतिवान बनता है और कुछ भी गलत काम करने से बचता है । इसलिए धर्म का अधिष्ठान हुआ, तो ही धर्माधारित यानि आदर्श समाज का निर्माण हो सकता है । इसलिए राष्ट्र को वास्तविक रूप से उर्जितावस्था प्राप्त करनी हो, तो धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है । उसके लिए प्रत्येक को धर्मशिक्षा लेकर, धर्माचरण कर धर्माधारित समाज का निर्माण और धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए सक्रिय होना चाहिए । कालानुसार हिन्दू राष्ट्र के लिए योगदान देना श्रीगुरु के समष्टि रूप की सेवा ही है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी ने इस अवसर पर किया । सनातन संस्था द्वारा आयोजित मालवीय नगर, नई दिल्ली के श्री गीता भवन मंदिर में गुरुपूर्णिमा महोत्सव में वे बोल रहे थे । देशभर में कुल 154 स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया ।

उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में आगे बताया कि भारत के इतिहास में जब-जब भी धर्म पर संकट आया है तो गुरु शिष्य परंपरा ने सनातन हिंदू धर्म की रक्षा की है। समर्थ रामदास स्वामी- छत्रपति शिवाजी महाराज, आचार्य चाणक्य – चन्द्रगुप्त मौर्य इत्यादि अनेक गुरु-शिष्य ने धर्म की रक्षा की है । आज का काल युग परिवर्तन का काल है । आज की शिक्षा व्यवस्था में तो धर्म के लिए स्थान ही नहीं है। इसलिए व्यक्तिगत सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर धर्म का लोप हो रहा है। इस कारण हमें हर जगह मिलावट, भ्रष्टाचार,बलात्कार जैसी अनेक सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हमें स्वयं का योगदान हिंदू राष्ट्र के कार्य के लिए करना होगा। प्रतिदिन एक घंटा- आधा घंटा हमें हिंदू राष्ट्र के लिए देना होगा।  

वर्तमान में भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि 2021 में विश्व के करप्शन इंडेक्स में भारत 85वे स्थान पर था। राजनीति का अपराधीकरण 109 प्रतिशत बढ़ गया है। जिन सांसदों पर आरोप लगे हैं, क्या वे कानून बना पाएंगे? लव जिहाद, लैंड जिहाद लगातार बढ़ रहा है और सड़क किनारे हर चौराहे पर मजार -मस्जिद बन रही है। इस देश में बहुसंख्यक हिंदुओं की हत्याएं हो रही हैं। इसका समाधान समाज में धर्म शिक्षा का प्रसार है। जिसके साथ भगवान श्रीकृष्ण हैं उनकी रक्षा अवश्य होगी। ऐसा लगता होगा कि यह कोई बहुत बड़ा कार्य है । हमें यह समझना होगा कि हिंदू राष्ट्र का कार्य करते हुए हमें छोटा छोटा योगदान करना होगा। गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण ने उठाया तो गोप गोपियों  ने अपनी छोटी-छोटी लाठियां गोवर्धन पर्वत पर लगाई थी। इस प्रकार से हमें यही हमारा स्वयं का योगदान हिंदू राष्ट्र के कार्य के लिए करना होगा। प्रतिदिन एक घंटा- आधा घंटा हमें हिंदू राष्ट्र के लिए देना होगा।  हम दिन में 5 बार भगवान को प्रार्थना सकते हैं, हे भगवान, भारत में हिंदू राष्ट्र का निर्माण करें। हम अपनी क्षमता अनुसार यथासंभव योगदान करेंगे। धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयास हम सभी का कर्त्तव्य है।

महोत्सव के प्रारंभ में श्री व्यासपूजा और प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया । तत्पश्चात परात्पर गुरु डॉक्टर जयंत आठवले जी द्वारा संकलित और सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रंथों का विमोचन किया गया।  

देशभर में हुए गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सनातन संस्था का हिंदी भाषा में ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले जी की गुरु से हुई भेंट एवं उनका गुरु से सीखना’ तथा अंग्रेजी भाषा में ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेज् स्पिरिच्युअल वर्कशॉप्स इन 1992’, ‘सीकर्स रिवील यूनिक फेसेटस् ऑफ परात्पर गुरु डॉ. आठवले’, ‘एफर्टस् एट द स्पिरिच्युअल लेवल फॉर रिमूवल ऑफ पर्सनॅलिटी डिफेक्टस्’ और ‘हाऊ टू प्रोग्रेस फास्टर स्पिरिच्युअली थ्रू सत्सेवा ?’ इन ग्रंथो का विमोचन किया गया ।

9 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ : इस वर्ष सनातन संस्था द्वारा मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड, तमिल, तेलगु, गुजराती, बंगाली, उडिया आदि 9 भाषाओं में ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुए । इस माध्यम से देश विदेश के हजाराें श्रद्धालुओं ने ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सवों’ का लाभ उठाया । ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा उत्सव में सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवले की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ जी ने ‘इम्पोर्टेन्स ऑफ गुरु’ इस ई-बुक का लोकार्पण किया ।

चेतन राजहंस,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.