भारत में मिसनरी के नाम पर कई बार विवाद हो चुके हैं और इस बात से हम सब अवगत भी हैं पर क्या आपने कभी सोचा है आखिर इनका मकसद क्या है और भारत में ही क्यों इतने सक्रिय हैं।
विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां ईसाइयों की संख्या अल्पसंख्यक है या भारत में ईसाइयों की संख्या से ज्यादा हैं। बहुत देश इतने गरीब हैं आबादी के हिसाब से उनकी GDP भारत से कई कई गुणा कम है पर इनका संगठन उन देशों में उतना सक्रिय क्यों नहीं हो पाया।
इसके पीछे एक यह भी कारण हो सकता है कि हम भारत के लोग भी इस बात को गलत नहीं कह सकते जब भारत वर्ष में चंद लुच्चे मुगल , चंद अंग्रेज और एक परिवार के शासन काल को मिला दिया जाए तो हजारों वर्ष तक हमारे देश पर शासन कर चुके हैं। ऐसे में इस तरह के संगठन को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती यहां पैठ जमाने में क्यूंकि देश का इतिहास इस बात का गवाह है और यह बात दुनिया जानती है।
हमारा देश शहीद भगत सिंह, ब्राह्मण पुत्र मंगल पाण्डेय , ब्राह्मण पुत्री झांसी की रानी जैसे क्रांतिकारी को जन्म देने के लिए गर्व करता है तो वहीं पर जयचंदो की गद्दारी के लिए भी जाना जाता है।
उसी तरह के कुछ जयचंद की वजह से कोई भी यहां अपना एजेंडा चलाता आ रहा है।

हमें इन जयचंद को पहचानना होगा ।

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