आखिर क्यों बढियां से बढियां हिंदी फिल्म ऑस्कर नामांकन में नही भेजी जाती ? लगभग सभी पढ़े लिखे  भारतीय जानते हैं की 95% हॉलीवुड की कहानी को चुरा कर फिल्म बनाते हैं  या फिर भारतीय साहित्य में  से कुछ कहानी को एक ड्राफ्ट मानकर स्क्रिप्ट लिखते हैं !

अनुराग कश्यप ने तो आजतक एक भी स्क्रिप्ट ओरिजिनल लिखा ही नही चाहे l गर्ल इन अ येलो बूट नक़ल है अ गर्ल विथ ड्रैगन टेटू , गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की कहानी बेशक झारखण्ड की है लेकिन स्क्रिप्ट लेखनी की नक़ल है  गैंग्स ऑफ़ अमेरिका से  ! देव.डी के बारे में जानते ही हैं देवदास उपन्यास की आधुनिक प्रेमी -प्रेमिका को दिखाने  के लिए उसी पटकथा को एक नया परिवेश दे दिया गया ! इसको सभी जानते थे तो छुपाने का कोई प्रयास भी  नही किया l

3 इडियट्स के बारे में यदि किसी भी भारतीय दर्शक से आप पूछिये या स्वयं से पूछिये तो आपको लगेगा की कमाल की स्टोरी है ! अब यही कामाल के स्टोरी लिखने वाले ने कभी किसी को नही बताया की यह कहानी  महान प्रेमचंद की लघु कथा ” बड़े भाई साहब ” का एक आधुनिक बृहद रूप है जिसमे रन्छोर दास खुद प्रेमचंद हैं  और बड़े भाई साब कॉलेज का डीन और थूथूक थूथूक वाला दोस्त ! प्रेमचंद के लफंगे दोस्त जो कहानी में  लघु कथा के कारण छिपे होते हैं , हालाँकि जिक्र है लेकिन कहानी को नेरेट खुद प्रेमचंद ने किया है लेकिन भगत  ने लफंगे दोस्त का किरदार उजागर कर के उसी के माध्यम से कहानी कही है ! यदि आप बड़े भाई साहब पढेंगे  तो समझ जायेंगे की कथा के दो  पंच लाइन जो भगत के सनीमा का चार चाँद लगा दिया वैसे के वैसे रख दिया !

1, खुद फेल और दोस्त को  पास हो जाये तो बहुत ज्यादा तकलीफ होता है !

2. किताब की परिभाषा 

चेतन भगत ने इसी कहानी को आधार बनाकर भारतीय बाजार में उतार दिया ! अब भला कौन इतना धयान दे  और सोचे !

यदि भगत लेखक होता तो इसके दुसरे उपन्यास पर भी फिल्म सुपर हिट हो जाती , किताब बिक गया क्योंकि  नाम एकबार ही कमाना होता है उसके बाद तो कुछ भी लिखो – वाह वाह !

अब आप समझ गए होंगे की क्यों मूर्खों की तरह ट्विटर पर प्रश्न पूछता है – गाँधी ji होते तो क्या कहते ? एक लेखक तो कम से कम ये बेबकूफी नही कर सकता , क्योंकि वह तो लेखक ही इसलिए है की जबाब  ढूंढ सके और लोगों के सामने रख सके ! मेरा तो यही मानना है !

अंत में ये भी लिख देना चाहता हूँ की विशाल भरद्वाज की सभी फिल्म विलियम शेक्स्पियर की लिखी  नाटकों पर आधारित है – ( भारतियों के लिए उम्दा फिल्म लेकिन ऑस्कर के लिए कचरा )

_दिशव

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