भय बिनु होइ न प्रीति-1
जिस तरह श्रीराम के बाणों के भय ने समुद्र को उद्द्ण्ड से विनम्र बना दिया था, ठीक उसी तरह आज भारत के आध्यात्मिक, राजनैतिक, न्यायिक, प्रशासनिक, सामाजिक संस्थानों एवं व्यवस्था को सनातनियों की एकीकृत हुंकार के भय से सही मार्ग पर लाने की आवश्यकता है।