सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं
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लेकिन भगवान राम से हमें कुछ सीख लेनी चाहिए जो इस प्रकार हैं।
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भगवान में राजपाट व घर-बार सब कुछ छोड़ दिया लेकिन हथियार नहीं।
क्योकि भगवान जानते थे कि हथियार के बगैर उनके स्वाभिमान की रक्षा नहीं की जा सकती हैं।
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भगवान राम के पास कोदण्ड नामक दिव्य धनुष था,उसकी विशेषता यह थी कि उससे छोड़ा गया हर बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। (लेजर गाइडेड बम व मिसाइल की तरह)
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रावण के पास प्रोटेक्शन(नाभि में अमृत) था पर उसके पास कोदण्ड जैसा निर्णायक धनुष नहीं था,तो राम ने खुफिया एजेंसी (विभीषण)की मदद से उसका प्रोटेक्शन तोड़कर उसे मार दिया।
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महर्षि कण्व के शरीर पर तपस्या के दौरान बांस उग आया तो वो बांस ब्रम्हा ने विश्वकर्मा को दे दिया।
यह सबसे काम का आदमी था यदि विश्वकर्मा ने राक्षसों का साथ दिया होता तो कहानी कुछ और ही होती।
वैसे ब्रम्हा विष्णु महेश को भी हथियार बनाने आते थे।
विश्वकर्मा ने उस बांस से 3 धनुष बनाये।
1.पिनाक :-यह भगवान शंकर के पास था और दुनिया का सबसे ताकतवर धनुष था,इसके अलावा भगवान शंकर के पास तीसरी आंख,त्रिसूल पशुपति अस्त्र भी था जो सम्पूर्ण पृथ्वी का संहार कर सकते थे ,इसलिए भगवान शंकर देवों के देव थे।
2.सारंग:-यह भगवान कृष्ण के पास था,इसके अलावा कृष्ण के पास सुदर्शन चक्र भी था ,महाभारत युद्ध पांडव इसलिए जीत गए क्योकि उनके पास कौरवों से बेहतर हथियार थे व उन्हें भगवान कृष्ण का सहयोग भी प्राप्त था।
महाभारत में सबसे उन्नत हथियार कृष्ण के पास ही थे,हा, वो अलग विषय है कि वे उनका इस्तेमाल बहुत कम अवसरों पर किया करते थे।
पर जीत उसी की होती जिसका समर्थन सबसे हथियार वाला समर्थन करता।
जैसे पिछले 300 सालों से दुनिया का कंट्रोल हथियार निर्माताओ के पास हैं।
सिराजुदौला क्लाइव से इसलिए हार गया क्योकि क्लाइव के पास बेहतर हथियार(बंदूकें तथा हल्की व ज्यादा मारक तोप) थे ।
क्लाइव को ये हथियार लंदन व ब्रघिगम के हथियार निर्माता हथियार देते थे।
यदि वे सिराजुदौला को हथियार देते तो सिराजुदौला आसानी से क्लाइव समेत भारत के समस्त राजावो को हरा सकते था।
- गांडीव :-यह दिव्य धनुष अर्जुन के पास था, महाभारत में भगवान के कृष्ण के बाद अर्जुन के पास सबसे बेहतरीन हथियारों का जखीरा था,लेकिन हथियारों के लिये अर्जुन ब्रम्हा विष्णु -शंकर आदि हथियार निर्माताओं पर निर्भर था यदि अर्जुन ब्रम्हा विष्णु महेश के आदेशानुसार नहीं चलता तो अर्जुन के हथियारों के कील स्विच ऐक्टिवेट कर सकते थे।
जैसा कि उन्होंने कालयवन के साथ युद्ध मे किया और अर्जुन युद्ध हार गया था
इसी संदर्भ में दोहा प्रसिद्ध है
तुलसी नर का क्या बड़ा,समय बड़ा बलवान।
काबा लूटी गोपियां, वहीँ अर्जुन वहीँ बाण।।
यह मुगलों ने तुलसीदास जी पर दबाव बनाकर जबर्दस्ती लिखवा दिया था ।
वास्तव यह था कि ,”यदि तुम स्वयं के हथियार नहीं बनावोगे, तो आप सदा हथियार निर्माता पर ही निर्भर रहोगे,हथियार निर्माता उसी प्रकार कील स्विच ऐक्टिवेट कर देंगे जैसे अर्जुन कालयवन युद्ध मे हुआ था।”
ब्रम्हा विष्णु महेश प्रसन्न होने होने पर राक्षसों को भी किंतु -परन्तु-लेकिन(EUMU,Kil such) के साथ दे देते थे, राक्षस जब जब इनके खिलाफ गए उन्हें युद्ध मे हारना पड़ा।
जबकि कृष्ण स्वयं निर्माता भी थे इसलिए महाभारत में कृष्ण सबसे ज्यादा शक्तिशाली थे।
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भगवान राम व कृष्ण ने रामायण व महाभारत में स्पष्ट लिखा था, “है, आर्यपुत्रो यदि तुमने निर्णायक हथियार नहीं बनाए तो तुम स्वयं के आत्मगौरव व स्वाभिमान की रक्षा नहीं कर पावोगे,बिना हथियार के न तो स्वयं के नागरिको के लिये न्याय कर पावोगे,न ही तुम विश्व मे न्याय की स्थापना कर पावोगे।”
आगे अन्य श्लोक में कहते है,”है आर्यपुत्रो,यदि विश्व के अन्य राष्ट्रों ने निर्णायक हथियार बना लिये तो वे तुम्हारे साथ पूरे विश्व को लूटेंगे, और तुम बगैर हथियारो के किसी की रक्षा नहीं कर पावोगे।”
आगे लिखते है,”शक्ति के बगैर धर्म ,सत्य ,न्याय की स्थापना नहीं की जा सकती हैं, अतः है,आर्यपुत्रो शक्ति के लिये स्वयं के आधुनिक निर्णायक हथियार बनावो।”
ये सब हमारे मूल ग्रंथो में लिखा है लेकिन मुगलों व अंग्रेजों ने हमारे इतिहास के छेड़छाड़ कर दी,ताकि हम हथियारों के महत्व को कभी समझ ही नहीं पाए और हम शांति अहिंसा आदि का झुनझुना लेकर घूमते रहे।
कल मेरे सपने में भगवान राम आये और बोले,”अरे ,आर्यपुत्र जब हमने वनवास में भी हथियार नहीं त्यागे तो तुमने हथियार क्यों छोड़ दिये,क्या तुम जानते नहीं हो कि बगैर हथियारों के तुम्हे गुलाम बनाया जा सकता है,फिर तुम कैसे बिना हथियारों के धर्म की स्थापना करोगे।
तब मैंने कहा,”प्रभू , अंग्रेजों ने कानून बनाकर हमसे हथियार छीन लिया,फिर सभी सरकारे हथियार बन्ध नागरिक समाज के खिलाफ हैं, फिर भी हम प्रजाधिन राजा की स्थापना करने की चाहत रखने वाले कार्यकर्ता सरकार से हथियार बन्ध नागरिक समाज की माँग करते हैं”
तब रामजी ने कहा,”ठीक है ,इसके अलावा #जुरीकोर्ट,#रिक्तभूमिकर, #धनवापसी,#woic, जैसे कानूनो की मांग को आगे बढ़ावो,ताकि आर्यवर्त स्वयं के निर्णायक हथियार बना पाए,और विश्व मे शांति ,सत्य व न्याय की स्थापना कर सके।”
मैंने कहा,”जो आज्ञा,प्रभु”
तभी मेरी आँख खुल गयी,देखा तो मेरी छाती पर था,इसलिए स्वप्न आया था।
आज भी उनकी बात कितनी सही है हम अर्जुन की तरह आयातित हथियारों पर निर्भर हैं इसलिए हमें अपने स्वाभिमान के साथ समझौता करना पड़ता है कभी अमेरिका हमसे पूछे बगैर ही हमारी समुद्री सीमा में युद्धाभ्यास करके चला जाता है और कहता है कि हमे भारत से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं हैं।
कभी चीन हमारी सीमा में गाँव बसा लेता हैं।दूसरी तरफ हमे चीन अमेरिका की हर बात माननी पड़ती हैं।
अमेरिका कहता है कि ईरान से तेल मत खरीदो तो भारत नहीं खरीदता है और चीन कहता है कि हमे इतने ठेके देवो तो देने पड़ते है।
https://www.livehindustan.com/national/story-chinese-investments-news-india-to-clear-45-investments-from-china-likely-to-include-great-wall-saic-says-sources-3868953.html
ऐसे सैकड़ो उदाहरण है जहां हमे अपने स्वाभिमान के साथ समझौता करना पड़ा हैं।
हमे अपने आत्मगौरव व स्वाभिमान से समझौता इसलिए करना पड़ता है क्योंकि हम आयतित हथियारों पर निर्भर हैं।
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नोट:-
लेखक हिन्दू धर्म का ज्ञाता नहीं है किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है तो माफी । लेखक का उद्देश्य हथियारों का महत्व समझाना मात्र है।
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