दिल्ली दंगाइयों के नाम का बोर्ड हाथों में लेकर चमका रहे चेहरों के बीच  में ओसामा को बिन लादेन और  भिंडरावाले हँसते हुए देखकर मैं सन्न रह गया ! एक तरफ मक्के दी रोटी और दूसरी तरफ मटन कोरमा  और फिर मिल-बाँट कर खाते हुए ठहाका लगाना – मैं तो सोच में पड़ गया हूँ ! ये लोग फिर से जिन्दा कैसे  हो गये , कौन छुपा के रखा था अमृत , किसने इनको अब जीवित शरीर दे दिया ? बार-बार मैं इसी तरह के  प्रश्नों  के बीच में अपने आप को देख रहा हूँ !

मै कतई ये नहीं कह रहा कि किसानों के आन्दोलन में ये दोनों कैसे पहुँच गए ! मै तो बस ये ढूंढने की कोशिश  कर रहा हूँ कि अबतक गुरु गोविन्द सिंह के अनुयायियों को ये लोग दिखे क्यों नही हैं ! किसान आन्दोलन में  खालिस्तान और इस्लामिक जिहादियों को इस तरह से सम्लित कर लिया है मानो सभी के सपनों में आकर  गुरु तेग बहादुर जी ने कहा हो कि ” जाओ हिंदुस्तान के टुकड़े टुकड़े करो “l 

मै तो मानने को तैयार नही की किसी भी सिख गुरुओं ने इनके स्वप्न में आकर ऐसी बात कही हो लेकिन जिस  तरह से ये लोग अपने आपको दिखा रहे हैं शायद मैं ही गलत हो सकता हूँ ! अन्यथा ऐसा तो कभी मैं स्वप्न में  भी नहीं सोच सकता कि नानक देव के अनुयायी भ्रष्ट और देशविरोधी बन जायेंगे !

मेरा मन मानने को तैयार नही की गुरुओं ने ऐसा करने को आदेश दिया है इसलिए एक ही बात हो सकती है – ये जितने भी लोग आन्दोलन कर रहे हैं सभी ने किसानों का  मुखौटा पहन कर , देश की अखंडता को खंडित  करने का निर्णय लिया है l किसान आन्दोलन में  किसान बिल की बात के साथ साथ शर्जिल इमाम , ताहिर  हुसैन की रिहाई की मांग चीख चीख कर मेरी बातों को समर्थन दे रहे हैं ! मैं बिलकुल सही दिशा में सोच रहा हूँ !

सी.ए.ए , एन.आर .सी , 370 एंव दिल्ली दंगों को विषय -वस्तु बना कर आन्दोलन कर रहे पंजाब के किसानों को  किसान बिल से कोई लेना-देना नहीं है ! देश -विदेश से भरपूर मात्रा में फंडिंग हो रही है क्योंकि जिहादियों को  अब  किसान आन्दोलन के रूप में शाहींबाग मिल गया है ! सभी पोस्टर और बोर्ड को संभाल के रख छोड़ा था , बस लिपा-पोती कर के खालिस्तान आदोलन में फिट करना था – और अब फिट हो चूका है !

मसाज की मशीन , प्रोजेक्टर , नेटफ्लिक्स , रोटी मेकर मशीन , पिज़्ज़ा , बर्गर इत्यादि सभी प्रकार की व्यवस्था  सिन्धु बॉर्डर पर है ! इन आतंकवादियों के बीच में कुछ किसान भी जरुर हैं लेकिन बिलकुल गेहूं में घुन के बराबर ! ये लोग बस ऐसे ही मनोरंजन के लिए हैं , कभी मसाज कराते दिख जाते हैं तो कभी पिज्जा के लिए आपस में लड़ जाते हैं ! ये भीड़ हैं , इनके बिना आन्दोलन और एजेंडा को भुनाया नहीं जा सकता – इसलिए सारी व्यवस्था इनके लिए कर दिया गया है !  

इस कड़ाके की ठण्ड में , अपने खेतों से कोसों दूर आनंद मना रहे इन किसानों ने कभी किसानी  जीवन को जिया  ही नही है ! भारतीय किसान तो अब भी हल्कू है , पूस की रात में ओढने के लिए कम्बल नही है , सारी सारी रात  खेत में काटता है, और फिर फसल बर्बाद हो जाने पर हल्कू की तरह मजदुर बन जाता है ! बस एक ही कारण  से  कि अब उसे खेत में हाड़ -पांजर को गलाना नही पड़ेगा ! मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि यदि हल्कू के पास  गरम  कम्बल होता तो वह किसी भी हालत में खेत उजड़ जाने पर खुश न होता , निश्चित ही जबरा की तरह  नील गाय  को खदेड़ कर फसल बचा लेता ! क्या बिलकुल वही हालात भारतीय किसानों के नहीं हैं अभी ? फसल उगाओ तो  विचौलिया खा जाए , फसल बर्बाद हो गया तो आत्महत्या या मजदुर जीवन को अंगीकार ! मोदी सरकार ने उन  सभी किसानों को किसान बिल २०२० देकर  कम्बल बांटने का काम किया है  जिसे ये  कुछ असामाजिक तत्व  फाड़ देने को आतुर हैं ! इस देश में लगभग 86% किसान बिलकुल हल्कू के जैसे  हैं , जिन्हें कांग्रेस सरकार ने  मजदुर बनने के लिए मजबूर कर दिया लेकिन इस बिल अब ऐसा नही होगा !

मैं इस लेख के माध्यम से भारत सरकार को आगाह करना चाहता हूँ कि यदि आपने तनिक भी देर की तो मजाक  मजाक देश को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है ! कृपा करके इसे शाहिनबाग की तरह समय ना देकर शीघ्र से  शीघ्र अलविदा करें अन्यथा दो गुट मिलकर इस देश को बर्बाद करके छोड़ेंगे ! अब बात किसान बिल की नही रही  बल्कि देश की अस्मिता का है ! साफ़ साफ़ सम्पूर्ण भारतवासियों ने इन सभी आतंकियों को पहचान लिया है  और  प्रतीक्षा में हैं कि कब सरकार इन सभी को खदेड़ कर इनको इनके बिल में घुसा दे तो बांकी असली किसान  को किसान बिल सम्पूर्णता में मिल जाय ! यदि दबाब में आकर सरकार बिल को  वापस ले लेती है तो याद रहे  हल्कू मजदूरी करते ही रह जायेंगे और ये अतितायी जोर जोर से चिलाते रहेंगे  – सतवंत सिंह हाजिर हो  !

-दिशव 

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