योगऋषि रामदेवबाबा के वक्तव्य से निर्माण हुए विवाद पर उन्होंने अब क्षमा मांग ली है; लेकिन आयुर्वेद पर निरंतर टीका-टिप्पणी करनेवाले, कोरोना काल में भी ईसाई धर्मांतरण का एजेंडा चलानेवाले ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जॉनरोज ऑस्टीन जयलाल भारतीयों से कब क्षमा मांगेंगे ? हम ‘एलोपैथी’ विरोधी नहीं; उसी प्रकार ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ विरोध तो बिलकुल भी नहीं है, परन्तु डॉ. जयलाल की हिन्दू विरोधी और ईसाई धर्मांतरण संबंधी सकारात्मक भूमिका का पूर्णतः विरोध करते हैं । डॉ. जयलाल ने एक चर्चा में ‘कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम हो रहा है’, इसका श्रेय चिकित्सीय सुविधा, डॉक्टर्स, कोविड योद्धाओं को न देकर जीजस को दिया है । यह कोरोना संक्रमण के समय अपने प्राण संकट में डालकर काम करनेवाले सभी लोगों का अपमान है । इस प्रकरण में डॉ. जयलाल को क्षमा मांगनी ही चाहिए अन्यथा वे स्वयं को ‘ईसाई धर्मप्रसारक’ घोषित करें, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने की है । साथ ही डॉ. जयलाल द्वारा क्षमा न मांगने पर, केंद्रीयमंत्री डॉ. हर्षवर्धन डॉ. जयलाल को क्षमा मांगने हेतु बाध्य करें, ऐसा आवाहन भी समिति ने किया है ।

विगत वर्ष दिसंबर 2020 में अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने के बाद डॉ. जयलाल द्वारा ‘क्रिस्चैनिटी टुडे’ के साथ हुई भेंटवार्ता 30 मार्च 2021 को प्रकाशित हुई थी । इस समय उन्होंने अनेक चौंका देनेवाले वक्तव्य किए । इससे यही समझ में आता है कि वे मेडिकल के विद्यार्थी, डॉक्टर्स और रोगियों की ओर धर्मांतरण का अवसर के रूप में देखते हैं । वे कहते हैं कि ‘जीजस क्राइस्ट का प्रेम सभी को दें और ‘जीजस आपकी रक्षा करेगा’, ऐसा विश्‍वास सभी को दें ! चर्च और ईसाईयों के दयाभाव के कारण विश्‍व में इससे पहले आई अनेक महामारियों और रोगों पर उपचार मिला ! उन्होंने IMA के अध्यक्षीय भाषण में ‘सर्वशक्तिमान ईश्‍वर यह जीजस क्राइस्ट ने दी हुई भेंट है और कल जो होगा, वह भी उसी की भेंट होगी’ ऐसा कहा था । अन्य एक चर्चा में उन्होंने कहा कि, वैश्‍विक महामारी फैली है, तब भी ईसाई धर्म बढता ही जा रहा है । इस वक्तव्य से ईसाई धर्मांतरण को उनका समर्थन स्पष्ट दिखाई देता है । इसी प्रकार उन्होंने ‘Haggai इंटरनेशनल’ को भी भेंट दी थी ।
इस भेंट में भी आयुर्वेद पर और केंद्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए डॉ. जयलाल कहते हैं कि, मोदी सरकार के सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक आस्था हिन्दुत्व पर आधारित है, इसलिए मोदी सरकार आयुर्वेद पर विश्‍वास रखती है । आयुर्वेद का मूल संस्कृत में है और संस्कृत हिन्दुत्व की भाषा है । ऐसे वक्तव्य कर डॉ. जयलाल ने उनका हिन्दुत्वद्वेष और संस्कृतद्वेष ही दिखाया है । ऐसा धार्मिक द्वेष रखनेवाले व्यक्ति को लोकतांत्रिक देश की इतनी बडी संस्था के अध्यक्ष पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है । ‘आइएमए’ के सभी डॉक्टरों से समिति आवाहन करती है कि, ईसाई धर्मप्रसारक डॉ. जयलाल को अध्यक्ष पद से तत्काल हटाकर धर्मांतरण का षडयंत्र नष्ट करें ।

श्री. रमेश शिंदे,राष्ट्रीय प्रवक्ता,हिन्दू जनजागृति समिति, 

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