परमाणु शक्ति है देश हमारा, दुनिया में हम प्रथम लोकतंत्र कहलायें
आबादी में हम दूसरा नंबर, बहुतायत में हैं खनिज संपदाऐं
खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है, हजारों चल रही विकास योजनाएं
पर हम जब जाते ओलंपिक खेलने, तो स्थान अपना 67 वाँ पाएं
गंदगी है कोढ देश का, यही हमारी सेहत को खाए
सुधर सकता है स्वास्थ्य हमारा, बढ़ सकता है हमारा मान
आओ सफल बनाएं स्वच्छ भारत अभियान
पहला सुख निरोगी काया, बुजुर्गों ने यह पाठ पढ़ाया
जानता है बच्चा, बच्चा, पर आज तक नहीं अमल में लाया
आज एक भी डाक्टर गरीब नहीं है, हमने उसे संपन्न बनाया
बीमारी पैदा की गंदगी से गांव में, मक्खियों से उन्हें घर- घर फेलाया
गंदी नाली, गंदी सड़कें, कैसे घर में आए माया
अब मिला है सुनहरा अवसर, अब बनाएं आदर्श ग्राम
आओ सफल बनाएं स्वच्छ भारत अभियान
कचरा निकालें घर के बाहर, डस्टबिन रखे हर एक द्वार
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शानदार , सामयिक और सार्थक। आप अपनी पूरी कविता को क्रेटली पर भी डाल सकती हैं और नीचे अपने ब्लॉग का लिंक भी। क्यूंकि हो सकता है आदतन बहुत से पाठक पूरा पढ़ने के लिए इतनी जहमत उठाने की कोशिश न करें। लिखती रहें। शुभकामनाएं आपको।