इस अवसर पर श्री. दीपेन मित्रा ने आगे कहा कि आज बांग्लादेश में 2.5 करोड़ हिंदू हैं; लेकिन हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। हिंदुओं को किसी भी प्रकार का न्याय नहीं मिलता। बांग्लादेश सरकार, नेता या सेना की ओर से हिंदुओं को कोई सहायता नहीं मिलती। अन्य घटनाओं में मानवता पर अत्याचार होते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र संघ, मानवाधिकार संगठन बहुत शोर मचाते हैं, लेकिन यहाँ बांग्लादेश के हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, तब हिंदुओं के लिए कोई कुछ नहीं बोलता; क्योंकि उनके लिए हिंदू इंसान नहीं हैं। इसलिए हम भारतीय सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को तुरंत बचाने की अपील करते हैं।
अगर बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाना है, तो भारत को ठोस और आक्रामक भूमिका अपनानी चाहिए!
‘पश्चिम बंगेर जन्य’ के संस्थापक सचिव श्री. प्रकाश दास ने कहा कि 1972 में जिस इस्कॉन मंदिर ने बांग्लादेश के लोगों को छह महीने तक भोजन दिया, उन्हीं लोगों ने इस आंदोलन में उस इस्कॉन मंदिर को जला दिया। 1971 में भारत ने सैन्य कार्रवाई करके बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। उस समय 25 लाख हिंदू मारे गए थे और हजारों महिलाओं पर अत्याचार हुआ था। आज वही स्थिति दोबारा हो रही है। छात्र आंदोलन केवल एक मुखौटा है। असल में इस आंदोलन के पीछे जिहादियों की साजिश है। बांग्लादेश के हिंदुओं को न्याय दिलाने के लिए भारत को मजबूत और आक्रामक भूमिका अपनानी चाहिए। जैसे इज़राइल अपने देश और धर्म के लिए लड़ता है, वैसे ही हमें भी आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाने की जरूरत है। अगर भारत को बांग्लादेश के हिंदुओं को बचाना है, तो ठोस और आक्रामक कदम उठाने होंगे। ‘दुनिया क्या कहेगी?’ यह विचार छोड़कर ठोस कार्रवाई करनी आवश्यक है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.