जब से लाल किले पर अराजकतावादियों ने हमला किया है, तब से कई लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो चुकी है। कुछ नेता भूमिगत हो चुके हैं, कुछ लोगों को भागे रस्ता नहीं मिल रहा है, और कुछ लोगों की हालत तो ऐसी है कि पुलिस की कार्रवाई का सोचके ही रो पड़ते हैं। यहाँ तक कि इन आंदोलनकारियों के राजनीतिक समर्थक भी अब पहले जैसे बेफिक्र नहीं है।जहां काँग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर लाल किले पर हमले का सारा ठीकरा दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार पर फोड़ने का निर्णय किया, तो वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] ने बातों-बातों में ही उन्हे ठेंगा दिखाते हुए इसके लिए पाकिस्तानी तत्वों को जिम्मेदार बताया।

मीडिया से बातचीत के दौरान अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन की छवि को खराब करने में असामाजिक तत्वों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। उनके अनुसार, “मुझे नहीं लगता कि किसान हिंसा में शामिल थे। मैंने कई बार चेतावनी दी कि पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर मैं काफी समय से चेतावनी दे रहा हूं, परेशान पंजाब पाकिस्तान की नीतियों को सूट करता है”

लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री वहीं पे नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी लोग भी इस हमले में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि पंजाब को कमजोर करके सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तानियों का ही होगा। अमरिंदर सिंह के अनुसार, “किसान आंदोलन की शुरुआत से ही पाकिस्तान सीमापार घुसपैठ की कोशिश कर रहा है और बड़े पैमाने पर ड्रोन के जरिए हथियार भेज रहा है। केंद्र से मैंने पाकिस्तान की चालों से सतर्क रहने की अपील की है। पड़ोसी देश पंजाब में हथियारों के अलावा पैसे और हेरोइन भी भेज रहा है। पाकिस्तान के स्लीपर सेल हैं जिसे वह एक्टिवेट कर सकता है। कृषि कानूनों के खिलाफ अक्टूबर में जबसे किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से पाकिस्तान से अवैध तौर पर आने वाले हथियारों में इजाफा हुआ है।”

इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ये भी कहा कि जब नवंबर में किसानों का आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर शिफ्ट हुआ तब वह गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे और उन्हें पंजाब को अशांत करने की पाकिस्तान की कोशिशों के प्रति आगाह किया था। यह बात अमरिंदर सिंह ने तब कही है, जब उन्ही के पार्टी के हाईकमान ये झूठ फैलाने में लगे हुए थे कि लाल किले पर हमला केंद्र सरकार की मिलीभगत से हुआ है।

जिस प्रकार से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह बयान लाल किले पर हमले के बाद दिया हैं, उससे स्पष्ट पता चलता है कि वह किस प्रकार से सरकार की संभावित कार्रवाई से अपने आप को बचाना चाहते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस आंदोलन को बढ़ावा में अप्रत्यक्ष रूप से एक अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनके दांव उन्हीं पे भारी पड़ रहे हैं।

इसके अलावा जिस प्रकार से लाल किले के हमले ने भारत को शर्मसार किया है, उससे अमरिंदर सिंह की राष्ट्रवादी छवि को भी गहरा झटका लगा है। अब वे ऐसा कुछ नहीं चाहते जिससे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हे किसी प्रकार का खतरा हो। इसीलिए अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिर से देशभक्ति का राग अलापना शुरू कर दिया है।

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