जब कोई हिन्दू राजा अकबर म्लेच्छ के सामने नहीं खड़ा हो पाया ।
जब अकबर म्लेच्छ हिन्दुओं को ही हिन्दुओं से लड़ाने मे सफल हो गया था ।
जब इस्लाम से 800 वर्षों से लड़ते लड़ते मेवाड़ राज्य की सीमा मात्र 300 मील में सिकुड़ गई थी ।
अकबर का दूत मानसिंह सन् 1573 में प्रताप के पास संधि संदेश लाया ।
प्रताप का उत्तर तीन ‘च’ पर आधारित था :
१) म्हूं तुर्क री चाकरी नी करूँगा ।
२) म्हूँ तुर्क नै चौथ नी दूँगा ।
३) म्हूँ तुर्क नै छोकरी नी दूँगा ।
Pratap’s reply to Man singh –
1) I will not serve the Turk .
2) I will not give tax to the Turk .
3) I will not give daughter to the Turk .
बहुत से साथी राजपूतों ने प्रताप को समझाया कि मान जाइए । आपकी हठ से बहुत हानि होगी ।
उस एक मतवाले हठी के कारण हम आज हिन्दू हैं ।
प्रताप ने उस समय शस्त्र उठाया जब सब हार चुके थे, और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्य को करारी पराजय दी ।
हम शपथ लेते हैं उस देवपुरुष की ।
हम हिन्दू धर्म के हेतु ही जिएँगे और मरेंगे ।
और कोई श्रद्धांजलि नहीं हो सकती उस देवपुरुष को , क्यूँकि ,
प्रताप कभी मरे नहीं । प्रताप कभी मरते नहीं ।
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