बिहार में शराबबंदी है, बावजूद इसके जिस तरह से जहरीली शराब का कहर टूटा है उसने सरकार-प्रशासन सब को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है, बिहार के अलग-अलग जिलों में जहरीली शराब पीने से तीन दिनों से लगातार लाशें बिछ रही हैं. 4 जिलों में तकरीबन 20 लोगों की मौत हो गई है, सबसे ज्यादा नवादा में 12 लोगों की जान गई हैं. राजधानी पटना में बैठी सरकार और उसके मुलाजिम मुंह खोलने को तैयार नहीं है, वहीं आरजेडी सरकार पर शराब माफियाओं को बचाने का आरोप लगा रही है .

बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की गई थी। शराबबंदी की बिहार में 5वीं सालगिरह है। कहां तो इस नेक काम का जलसा होता.  लेकिन यहां तो तस्वीर बिल्कुल ही अलग है . आंकड़ों के लिहाज से भले ही छोटा मामला लगे, लेकिन मौत का असर कम नहीं होता है। कितनों के घर-परिवार उजड़ गये, महिलाओं का सुहाग छिन गया , बच्चे अनाथ हो गये, लेकिन सरकार खामोश है, अब सवाल ये कि ये कैसी शराबबंदी ?

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.