भारत की चीन को दो टूक, एलएसी पर यथास्थिति बहाली ही गतिरोध का हल, चीनी सैनिकों को पीछे हटना ही होगा
भारत और चीन की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता खत्म हो गई है...
भारत और चीन की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता खत्म हो गई है...
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी सैन्य गतिरोध का हल निकालने के लिए कमांडर स्तर की हुई वार्ता में भारत ने चीन को एक बार फिर साफ कर दिया कि एलएसी की यथास्थिति में बदलाव किए बिना ही सैनिकों को पीछे हटाने का रास्ता निकालना होगा। एलएसी के दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों को पीछे हटाने के लिहाज से शुक्रवार को हुई कमांडर स्तर की आठवें दौर की यह वार्ता भारत और चीन दोनों के लिए बेहद अहम है। इस वार्ता में सहमत होने वाले मुद्दों पर आपसी समझ बनाने के बाद ही दोनों देशों अपना बयान जारी करेंगे।
हालांकि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने एलएसी पर तनाव की स्थिति कायम रहने की बात कहते हुए चीन के दुस्साहस और अतिक्रमण को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। साथ ही कहा कि इस दुस्साहस के बाद चीनी सेना को भारतीय सेना के अप्रत्याशित और मजबूत जवाब से रूबरू होना पड़ रहा है। जनरल रावत ने भी साफ कर दिया कि एलएसी में किसी तरह का बदलाव भारत को मंजूर नहीं है।
भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मास्को बैठक में एलएसी गतिरोध का वार्ता से हल निकालने की बनी सहमति के बाद सैनिकों को दुर्गम इलाकों से हटाने के मुद्दे पर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत अहम मानी जा रही है। ठंड का मौसम शुरू हो चुका है और एलएसी के इन दुर्गम मोर्चो पर अगले कुछ दिनों में बर्फ गिरने की शुरूआत भी हो जाएगी। ऐसे में यहां सैनिकों की तैनाती बनाए रखना दोनों देशों के लिए बड़ी चुनौती है।
पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में कमांडर स्तर की यह लंबी वार्ता सुबह साढे नौ बजे शुरू हुई जिसमें भारतीय दल का नेतृत्व सेना के 14वें कोर के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। इसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। छठे दौर की कमांडर वार्ता में जहां दोनों देशों के बीच एलएसी पर और सैनिक नहीं भेजने पर सहमति बनी थी। वहीं सातवें दौर की बातचीत में सैनिकों की वापसी के फार्मूले का कोई समाधान नहीं निकला मगर कूटनीतिक संवाद बनाए रखने की हामी भरी थी।
बातचीत में भारत ने बार-बार साफ किया है कि सैन्य तनातनी खत्म करने की जिम्मेदारी चीन पर है और इसके लिए एलएसी की गरिमा का दोनों तरफ से सम्मान किया जाना अनिवार्य जरूरत है। भारत इस रुख पर कायम है कि चीन अपने सैनिकों को वापस हटाकर मई के पूर्व स्थिति में ले जाए। जबकि चीन का कहना है कि भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके की चोटियों पर तैनात अपने सैनिकों को पहले पीछे हटाए।
आठवें दौर की कमांडर वार्ता को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा ‘संपूर्ण एलएसी से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के लिए चीन से हम लगातार बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों के नेताओं के निर्देश के अनुरूप एलएसी पर अमन शांति बनाए रखने के लिए आगे भी बातचीत का दौर जारी रहेगा।’ एलएसी गतिरोध पर भारत के सख्त रुख को सीडीएस जनरल रावत ने शुक्रवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज के एक वेबिनार के दौरान जाहिर भी किया। रावत ने कहा कि अपने दुस्साहस के लिए चीन को भारत के अप्रत्याशित और मजबूत जवाबों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
मौजूदा वक्त में एलएसी पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। ऐसे में मौजूदा टकराव के बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की हरकतों का माकूल जवाब दिया है और एलएसी पर कोई बदलाव हमें मंजूर नहीं है। भारत की सुरक्षा चुनौतियों पर जनरल रावत ने चीन-पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ती सांठगांठ का जिक्र किया।
जनरल रावत का कहना था कि परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों की सांठगांठ भारतीय उपमहाद्वीप की रणनीतिक स्थिरता के लिए ही चुनौती नहीं बल्कि भारत की भौगोलिक अखंडता के लिए भी खतरा है। सैन्य आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए जनरल रावत ने कहा कि जैसे-जैसे भारत का कद बढ़ता जाएगा हमारी सुरक्षा चुनौतियां भी इसी अनुपात में बढ़ती जाएंगी। इसीलिए हमें अपनी सैन्य जरूरतों के लिए प्रतिबंधों या दूसरे देशों पर निर्भरता के खतरे से बाहर निकलना चाहिए। इसके लिए दीर्घकालिक सैन्य संसाधन निर्माण क्षमता में निवेश बढ़ना होगा।
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