मनुष्य का मस्तिष्क ब्रह्माण्ड की तरह ही है मनुष्य के मस्तिष्क का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा ही कार्य करता है उसी प्रकार हम भी केवल ब्रह्माण्ड के पांच प्रतिशत को ही समझने में समर्थ रहे हैं | ब्रह्माण्ड में तारों की संख्या अनगिनत है उसी प्रकार मनुष्य के केशों की तथा मनुष्य के मन मस्तिष्क में विचारों व् कल्पनाओं की गिनती करना असंभव है पल पल मनुष्य के जीवन में इतने विचार व् कल्पनाएँ जन्म लेती हैं कि सम्पूर्ण जीवन में उनको समझना व् गिनती करना समझ से परे है |

*** डॉ पांचाल

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