सावन पुर्णिमा है मनभावन,
बहना के आने से खिलता
भाई का आंगन|
सज-धज बहना आईं, आरती की थाल सजाई,
रंग बिरंगी राखी, कुमकुम
तिलक , मिठाई भी लाई।

रेशमी धागों का यह त्यौहार,
बहन भाई का बना रहे अटूट प्यार,
भाई की कलाई में
रक्षा-कवच बांधती,
भाई की सलामती की दुआ मांगती।

उपहार देता भाई ,रक्षा का देता वचन
मायका यह तेरा ,जहाँ बिताया तूने बचपन,
सुख दुःख रहुँगा तेरे साथ,
माँ की परछाई मेरी लाडली बहना ।
दूर रहें तू कोई ग़म नहीं
दिलों में दूरी न लाना।

भाई-बहन का बंधन है प्यारा,
सभी रिश्तों से है ये न्यारा,
चाहे हो ग़लतफहमी,
जितनी भी हो नाराज़गी
भैया, तू सब भूल जाना
कुछ भी हो ,पर बहना से राखी जरुर बंधवाना।

भारी लिफाफा,महगीं राखी ,
फिकि करदी रिश्तों की शान
रक्षा सूत्र हो रहा अब तो बेजान
यह खून का रिश्ता है
इसकी अहमियत को पहचान

इस रिश्ते का कौई कैसे लगाएं मोल?
रक्षाबंधन हैं अनमोल।

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