जहां एक ओर लोग नए वर्ष का स्वागत एक नई आशा, उमंग और उत्साह के साथ कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग पुराने वर्ष यानी 2020 को जीवन का सबसे मनहूस वर्ष मानते हैं, क्या सच मे ऐसा है?
नया भारत नई सोच
2020 की शुरुवात कोरोना के आरंभ से हुई, चीन से चली इस आफत ने भारत मे जनवरी में दस्तक दी, हम उस से लड़ने के विषय मे सोच ही रहे थे कि CAA के विरोध में देशद्रोही तत्व अपने असली रूप में आ गए, दिल्ली जल उठी, लगातार 4 दिन तक दिल्ली ने भीषण उत्पात और अराजकता देखी, दिल्ली की केजरीवाल सरकार इसमे पूरी तरह से विफल सिद्ध हुई, सबसे दर्दनाक क्षण वो जब नाले से IB अफसर अंकित शर्मा और एक अबोध बच्ची का शव निकाला गया, दिल्ली ने आम आदमी पार्टी के पार्षद का आतंकवादी विभत्स चेहरा देखा, पार्श्व में केजरीवाल का वो गीत भी चलता रहा जो उन्होंने सत्ता में आने पर मंच से गाया था, “इंसान का इंसान से हो भाईचारा” भाईजान ने हिंदुओं को कैसे षड्यंत्र करके चारा बनाया वो हम सब ने देखा, पर इस बार दंगे में हिन्दू ने प्रतिकार किया और ऐसा किया कि दंगाई कौम के लोगों को ये पता चल गया कि ये युवा भारत अब इन्हें और इनकी अराजकता भरी कट्टर सोच को और बर्दाश्त करने के मूड में नही है।
श्रीराम की प्रतीक्षा के अंत का वर्ष
खैर इसी वर्ष भारत के इतिहास का वो क्षण भी आया जब वर्षों की कठिन तपस्या, धैर्य और प्रतीक्षा ने साकार रूप लिया, हिन्दू समाज 500 वर्षों की कानूनी लड़ाई जीता और उसे अपने आराध्य भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर अधिकार प्राप्त हुआ, क्षण उत्सव का था पर सद्भाव न बिगड़े इसलिए उत्सव नही मनाया गया और इतिहास ने हिन्दू समाज का संयमित रूप भी देखा।
370 के अंत का वर्ष
इसी वर्ष देश ने देखा कि जिस धारा 370 को छूने के स्वप्न मात्र से राजनीतिक धुरंधर डरते थे, जिसको हटाने का साहस तो दूर, चुनावी मुद्दा भी बनाने से राजनैतिक दल डरा करते थे, युद्ध से लेकर गृहयुद्ध का भय दिखाकर जनता को मूर्ख बनाया जाता रहा उसे एक झटके में मोदी जी ने समाप्त कर दिया और पूरे देश में किसी ने चूं तक नही की।
चीन के विस्तारवाद और विश्व को जवाब देने का वर्ष
उस चीन की विस्तारवादी सोंच जिस से दुनिया परेशान थी उसको उसकी असली औकात दिखाने वाला वर्ष भी 2020 रहा, लद्दाख में भारत ने आक्रामक रुख दिखाकर PLA को जो मज़ा चखाया उसने दुनिया को भारत की सैन्य शक्ति का एहसास करवा दिया, उसके बाद चीनी समान, व्यापार और एप्लीकेशन पर प्रतिबंध और कोरोना के लिए चीन को सीधे उत्तरदायी ठहराने का माद्दा भारत की नई सोच का पर्याय था। संयुक्त राष्ट्र महासभा की उसके मुँह पर फजीहत मोदी के अतिरिक्त किसी के बस की बात नही थी अतः ये भी विश्व ने देखा।
सामाजिक महत्व का वर्ष
सामाजिक रूप से भी 2020 बेहतरीन रहा, जब लोगों ने समझा कि उनके जीवन यापन के लिए क्या आवश्यक है और क्या आवश्यक नही है, प्रकृति ने स्वयं को शुद्ध किया, लोगों ने परिवार का महत्व समझा और जहां एक ओर लोग 6 फिट की दूरी बनाते दिखे वहीं कितने ही दिलों की दूरियां समाप्त हुई। एक बार पुनः लोगों ने रामायण और महाभारत जैसे कालजयी रचनाओं को देखा, अपने स्वास्थ्य का महत्व समझा और उपपोह कि ज़िन्दगी से अलग अपने कुछ नए शौक और प्रतिभाओं से सबको चकित कर दिया।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखें तो आप पाएंगे कि ये वर्ष 2020 एक ऐतिहासिक वर्ष था जिसकीं स्मृतियां सदैव हमारे स्मृतिपटल पर अंकित रहेंगी, हिन्दू समाज सकारात्मकता का प्रतीक है अतः 2020 की सकारात्मकता को ही आधार मानकर हम आगे बढ़े और ये वर्ष 2021 हमारे जीवन मे और अनेक सुखद क्षण लेकर आये इसी कामना के साथ, आप सभी को अंग्रेज़ी कैलेंडर के नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.