जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान में तुलसी पूजन दिवस का सफलता पूर्वक आयोजन आयुर्वेद बायोलॉजी के छात्रों द्वारा किया गया। तुलसी पूजन में मुख्य अतिथि के रूप मे अमेरिका के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बलराम सिंह उपस्थित रहें । पूजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न केंद्रों के ५० से अधिक छात्र उपस्थित थें व यज्ञाहूति कन्याओं द्वारा दी गई। पूजा के उपरान्त तुलसीरोपण किया गया।

तुलसी पूजन कार्यक्रम के बाद परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमे प्रोफेसर बलराम सिंह जी के द्वारा बच्चों को तुलसी : नवयुग की संजीवनी पर संबोधित किया गया। परिचर्चा सत्र का संचालन आयुर्वेद जीवविज्ञान के छात्र हर्ष पांडे द्वारा किया गया। बलराम सिंह ने बताया की तुलसी का सनातन संस्कृति मे क्या महत्व हैं। तुलसी के  औषधिए गुणों पर  भारत ही नहीं विदेशों मे भी कई शोध कार्य हो रहें हैं । बलराम सिंह ने बताया की वेदों मे लिखी हर बात का अपना एक महत्व हैं। आज जितनी भी खोजें हो रहीं हैं उनकी प्रेरणा कहीं न कहीं वेदों से प्राप्त की जाती है। उन्होंने  विभिन्न पत्रों और लेखों के माध्यम से  तुलसी और उसके पूजन के विषय मे अपने विचारों को साझा किया। तुलसी की अनेक प्रजातियां हैं जो की कैंसर में भी कारगर हैं।

पाश्चात्य अंधानुकरण के कारण जो लोग तुलसी व अपनी संस्कृति की महिमा को भूलते गये वे लोग चिंता, तनाव, अशांति बीमारियों से ग्रस्त हो गये। तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है। दर्शनमात्र से पाप समुदाय का नाश करती है। स्पर्श करने मात्र से यह शरीर को पवित्र बनाती है और जल देकर प्रणाम करने से रोग निवृत्त करती है तथा नरकों से रक्षा करती है। इसके सेवन से स्मृति व रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। जीवन में पुण्यकर्म का उदय होता है तथा जीवन की सभी व्याधियों का नाश होता है। हिन्दू धर्म में देव पूजा और श्राद्ध कर्म में तुलसी आवश्यक मानी गई है। प्रतिदिन जहां तुलसी का दर्शन करना पापनाशक माना गया है, वहीं तुलसी पूजन करना मोक्षदायक माना गया है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।

 

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