९ अगस्त,२०२० को भारत मे एक आंदोलन शुरू हुआ था जिसका नाम था किसान आंदोलन । ये आंदोलन भारत सरकार के द्वारा लाए गए ३कृषि कानूनों के खिलाफ़ शुरू हुआ था। अब ये आंदोलन एक आयोजन में बदल गया है, अब तो हम इतना भी कह सकते हैं कि ये आंदोलन का रिमोट अब खालिस्तानी (देशद्रोही) चला रहे हैं । अब ये आंदोलन अन्नदाताओं का नहीं खालिस्तानियों का हो गया है। जब सरकार से आंदोलन पर बैठे किसान नेताओं की बात हुई सरकार के तरफ़ से बताया गया था – “कृषि कानूनों में गलती क्या है हमे लिखकर दें सरकार बिल में बदलाव करने को तयार है।” , किसान नेता कुछ नहीं बोले इस विषय पर। लेकिन किसान आंदोलन के आड़ में मोबाइल टावर तोड़ा गया..दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के ऊपर तलवार का प्रयोग किया गया..पत्रकारों से बदसलूकी किया गया..ट्रेक्टर स्टॉन्ट का आयोजन किया गया..२६जनवरी ,२०२१ को ट्रेक्टर मार्च के समय आंदोलनकारियों के ट्रेक्टर से शराब के बोतलें मिली..लाल किले में तोड़फोड़ किया गया इसके साथ-साथ दिल्ली में दंगा फैलाया गया। अब सवाल उठना जायज़ है कि देश के अंदर देश-विरोधी कार्य करने वाले देश के लोगों के बीच भ्रम फैलाने वाले क्या कभी किसान हो सकते हैं ?
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