‘कोरोना टीकाकरण में सेक्युलरवादियों द्वारा हिन्दू-मुस्लिम भेद’ इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद
राजस्थान में अनेक बांग्लादेशी और रोहिंगया घुसपैठिए मुसलमानों का टीकाकरण किया गया है । परंतु पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओ का टीकाकरण क्यों नहीं किया जाता? उनके जीवन का क्या कुछ भी मोल नहीं ? यह कौनसा ‘सेक्युलरिजम’ है ? उन्हें न्याय मांगने हेतु न्यायालय में जाना पडता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा मत राजस्थान के ‘निमित्तेकम’ संगठन के अध्यक्ष श्री. जय आहुजा ने व्यक्त किया । ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ आयोजित ‘कोरोना टीकाकरण में सेक्युलरवादियों द्वारा हिन्दूू-मुस्लिम भेद’, इस ‘ऑनलाइन विशेष संवाद’ में वे बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर पर 4,234 लोगों ने देखा ।
केरल सरकार द्वारा हज यात्रियों को ‘फ्रंट लाईन वर्कर्स’ घोषित करना अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण !
केरल की वामपंथी सरकार द्वारा हज यात्रियों को ‘फ्रंट लाईन वर्कर्स’ घोषित किया है; किन्तु विदेश में पढनेवाले विद्यार्थियों के टीके की व्यवस्था नहीं की । कोरोना संकट में मठ-मंदिरों द्वारा केरल सरकार को करोडों रुपए की आर्थिक सहायता की गई । अनेक मंदिरों ने ‘कोविड सेंटर’ चालू किए; परंतु हज यात्रा की निधि कोरोना हेतु दी, ऐसा एक भी उदाहरण है क्या ? ऐसा होते हुए भी टीकाकरण हेतु हिन्दुओ से पैसे लेना और हज यात्रियों का नि:शुल्क टीकाकरण करना, यह सत्ता हेतु किया जा रहा मुस्लिम तुष्टीकरण है । इस हेतु नेता किसी भी स्तर तक जाएंगे, ऐसा वक्तव्य केरल की अन्नपूर्णा फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री. बिनिल सोमसुंदरम् ने किया ।
कोरोना विषाणु द्वारा जाति–धर्म में भेदभाव नहीं, तब टीकाकरण में धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों ?
हिन्दू जनजागृति समिति के राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने कहा कि कोरोना विषाणु जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता, तब टीकाकरण में धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों ? देहली के मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा रहे एक मुस्लिम डॉक्टर की मृत्यु के पश्चात उसके घर जाकर 1 करोड रूपए देते हैं, तब ऐसा बलिदान करनेवाले सैकडों हिन्दू डॉक्टरों को यह सम्मान क्यों नहीं दिया जाता ? कम से कम इस महामारी में तो मानवता की भावना रखनी चाहिए । महामारी में भी यदि हिन्दुओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार होता हो, तो अन्य समय कैसा व्यवहार होता होगा ? इसलिए अब हिन्दुओ को जागृत होना होगा और न्याय प्राप्त करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी होगी ।
राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि, अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना करना संविधान के मूलभूत सिद्धांत की अवहेलना है । प्रत्येक व्यक्ति को जीने का अधिकार है । ऐसे में सरकार द्वारा धर्म के आधार पर भेदभाव करना, संविधान का उल्लंघन करना है ।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति (संपर्क : 99879 66666)
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