राष्ट्र प्रथम राष्ट्रहित सर्वोपरि 4 जनवरी को भारत सरकार व नकली किसान नेताओं की सातवें दौर कि वार्ता होनी है नतिजा पहले ही बता देता हूं कि वार्ता फेल हो जाएगी क्योंकि 30 दिसंबर कि वार्ता में बिजली सुधार बिल पर व पराली जलानें के मुद्दे पर सरकार व नकली किसान के बिच सहमति हो चूकि है। लेकिन MSB वह तिन कृषि बिलों पर राष्ट्र झुकाने कि जिद्द कि वजह से ये वार्ता फेल हो जाएगी। क्योंकि नकली किसानों कि जिद्द है कि 3 कृषि बिल रद्द किए जाएं जो नामुमकिन है क्योंकि 3 कृषि बिल छोटे किसानों के हितों की रक्षा करते हैं मैंने 3 बिलों पर अध्ययन किया है।
अब देश के सामने अहम सवाल ये है कि ये गतिरोध टूटे तो कैसे टुटे लगभग 40 दिनों से बंधक दिल्ली को बंधकों से कैसे मुक्त कराया जाए।
मोदी सरकार ने देश के जिन 6 करोड़ छोटे किसानों को जो तीन किस्तों में सरकार दो दो हजार रुपए उनके खातों में भेजती है व केन्द्र सरकार ने 25 दिसंबर को सिधे उन 6 करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपए भेजे हैं असली किसान वहीं है ये देश के 6 करोड़ किसान अपने वोट से ये तय करें कि 3 कृषि बिल रहने चाहिए या रद्द किए जाने चाहिए। ये 6 करोड़ किसानों के 6 करोड़ वोटर अगर 40% भी इन 3 कृषि बिलों के विरोध में मतदान करते हैं तो सरकार को अपनी जिद्द छोड़कर ये तीनों कृषि बिल रद्द कर देने चाहिए।
लेकिन अगर इन 6 करोड़ किसानों मैं से 60% वोटर तीनों कृषि बिल के समर्थन में वोट करते हैं तो देश कि राजधानी दिल्ली को बंधक बनाए ये नकली किसान तुरंत अपना धरना प्रदर्शन बंद करें और तब भी यह नकली किसान अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो इसे राष्ट्र की खिलाफत समझा जाएं…. ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
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