प्राचीन समय की बात है , अरे उतना ही प्राचीन जब बिहार नाम के एक प्रांत में एक ठो कर्मठ (उनकी कर्मठता का प्रमाण हर जनसंख्या दिवस पर उनको याद करके माना /मनाया जाता है ) पशु पालक तारण हार अपनी बाँसुरी से उस प्रांत का पूरा सुर ताल बदल के रख दिए दिए थे |
बकौल उनके ही , अय बुड़बक ,हम भैंसिया के सींग पर लात धर के उसका पीठ पर बैठ जाते हैं , का समझे ” और वो बिहार के पीठ पर उसी तरह लद गए थे जैसे विक्रमवा के पीठ पे बेतलवा सवार हुआ था | खैर उनका ई वाला सिलेबस पर फिर कभी चर्चा किया जाएगा , आज उनका एक अलग ही करिश्मा का जादू सुनिए |
तो हुआ ये की उन दिनों एक बहुत बड़ी अखिल भारतीय दूध दूहो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और तीन , घोषित अघोषित और स्वघोषित पहलवानों तथा टहलवानों को उसमें शामिल होने के लिए हुलका दिया गया | हुलकाना बुलाना से बस तनिक ज्यादा टेम्प्रेचर वाला होता है |
तो नियत समय पर सब तीनों ही जो एक से बढ़ कर एक गजोधर थे , अपना अपना धोती गमछा मुरैठा बाँध के ,फाँड़ कस्स के आ गया पटना के गांधी मैदान में गाय दूहो प्रतियोगिता में | सबको बताया गया की घंटी बजते ही आप सबको अपना अपना लोटा बल्टी ले के एक एक ठो टेंट में घुसना है और एक फिक्स टाइम के अंदर गाय जो अंदर बंधी है उसका दूध दुह के बाहर ले आना है जिसका जो सबसे ज्यादा दूध निकाल सका वो चैम्पियन (नटराज फिर चैम्पियन के तर्ज़ पर ) |
बस फिर क्या था ,तीनों वीर एकदम तैयार हो गए घुसने के लिए | लालू बबा भी आए देखने कहे हम भी भाग लूंगा रे | हमको भी एक लोटा बल्टी धरा दो |
प्रतियोगिता ख़त्म होने को आई और तमाम पराक्रमी सब अपना अपना बल्टी लेकर बाहर आए |सबसे पहले पसीना पोंछते जो निकले उनका बाल्टी आधा से ज्यादा था , मार अईंठ के टेढ़ा चलते हुए बाहर आए , दुसरका प्राणी कौन कम थे ऊ बाल्टी पूरा भरे हुए और सीना फुलाए चौड़ा होकर एकदम फर्स्ट पोजीसन पाए जाने टाईप फील करते हुए आए |
एक टेढ़ी नाक वाले नेता जी टाईप आदमी जैसा दिखने वाले जो अपना साईकल से प्रतियोगिता जीतने और बस जीत ही जाने का सोच के आए थे बाल्टी लेकर बाहर निकले तो सब अवाक ! दूध तो दूध , फेन (झाग ) से बाल्टी लबालब और बाहर गिर रहा था |
लोकल खिलाड़ी लालू जी अभी बाहर नहीं निकले थे सो पूरा जनता जनार्दन कुछ जिन्न टाईप निकलने का सोच कर उनके टेंट की तरफ ही देख रहे थे और ये सोच रहे थे कि सायकिल पहलवान तो पहले ही झाग बाहर कर दिए हैं बाल्टी से अब लालू बबा इससे ज्यादा क्या करेंगे |
लालू बबा , आखिर में निकले , एकदम पसीने से लथपथ | पूरा धोती गमछा में कीचड़ सना हुआ | लेकिन ले लोट्टा ई का , बाल्टी में एक बूँद भी दूध नहीं था | सिर्फ एक लोटा दूध उनके हाथ में देख कर सब मायूस होकर हल्ला मचाया लोग ढेर खूब पिपकारी चिचकारी मार के बोकियाने लगा | बाकी के प्रतियोगी भी उपहास उड़ाने वाला लुक दे रहे थे |
इससे पहले कि कोई कुछ पूछता , बबा बोल उठे
अय बुड़बक , ई के किया है रे
सरऊ हमरे वाले टेंट में , ई सांढ़ (होली काउ के हस्बैंड मेल काऊ ) के बाँध दिया था रे | बहुत मुश्किल से लड़ के पटक के एक लोटा दूध दुहे साँढ़ का |
अगर अब भी आप ई पूछेंगे की चैम्पियन के हुआ तो हम भी वही कहेंगे
अय बुड़बक , भक्क ,भक्क ,भक्क
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