कहते हैं प्रेम एक पवित्र एवं दिव्य एहसास है। प्रेम समर्पण है। प्रेम विश्वास है।प्रेम निश्छल है। यह मत, मजहब, जाति, रंग देखकर नहीं होता। बल्कि यह तो वो खुशनुमा एहसास है जिसकी अनुभूति सम्पूर्ण अनुभूतियों से श्रेष्ठ है। प्रेम की कोई सीमा नहीं होती और न ही इसे ऐसी किसी सीमा में सीमित करना चाहिए। परन्तु उसे क्या कहें जहां प्रेमी निष्छल न होकर हृदय में मलिनता लिए हुए हो। किसी गुप्त उद्देश्य में लिप्त हो। विश्वासघात की प्रवृत्ति में लिप्त हो। और जब यह संस्थागत रूप से संचालित हो एवं धर्म परिवर्तन की मंशा से प्रेरित हो तो यह प्रेम नही रह जाता बल्कि जिहाद हो जाता है। “लव- जिहाद”। यह इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।

धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार जो लगभग हर रोज गंगा- जमुनी तहजीब  की मिसाल देते  फिरते हैं वो यह कतई स्वीकार नहीं करेंगे कि  “लव -जिहाद” एक ऐसा भयानक सच है जिसने हज़ारों हिन्दू परिवारों के खुशियो की बलि ले ली है। हाल ही में मेरठ के परतापुर के गांव भुड़बराल के शमशाद  नामक मुस्लिम युवक द्वारा पहले अमित बनकर हिन्दू युवती प्रिया को प्रेमजाल में फांसने फिर भांडा फोड़ होने पर उसकी नृशंस हत्या बेटी समेत कर देने की घटना लव जिहाद की हृदय विदारक सच की एक बानगी भर है।

मेरठ की घटना के चंद दिनों पहले लुधियाना की एकता को तथाकथित प्यार की कीमत मौत के रूप में चुकानी पड़ी। पहले शाकिब नामक मुस्लिम युवक ने अमन बनकर लड़की को फंसाया , उसका शारारिक शोषण किया और अपनी कलई खुलने पर परिवार के सदस्यों की मदद से बेरहमी से उसका कत्ल कर दफना दिया।

मेरठ के ही लिसाड़ी थाना क्षेत्र के फैसल नामक मुस्लिम शख्स ने सोनू बनकर ,हाथ मे कलावा बांधकर ,माथे पर टीका लगाकर पहले हिन्दू युवती को अपने मोहपाश में बांधा ,शाररिक संबंध स्थापित किए और फिर अपने मज़हब का पता लग जाने पर उसे जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गया।

राजस्थान के उदयपुर में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी।यहां मुस्लिम युवक ने अपनी पहचान छुपाकर हिन्दू युवती को झासे में लिया । उसका जबरन धर्म परिवर्तन करवाया । उसके साथ दुष्कर्म कर उसका वीडियो बनाकर दो माह तक उसे ब्लैकमेल करता रहा। इस घटना में उसका परिवार भी लिप्त था।

इसके पूर्व राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज तारा सहदेव भी लव जिहाद का शिकार हुई थी। चाहे तारा सहदेव जैसे हाई प्रोफाइल केस हों या सामान्य हिन्दू युवतीयों के साथ घटित घटनाएं ये इशारा करती हैं कि कहीं न कहीं एक प्रायोजित षडयंत्र के तहत मुस्लिम युवक गैर मुस्लिम युवतियों को निशाने पर लेते हैं। अगर लड़कियां धर्म परिवर्तन से इंकार करती हैं तो उनका कत्ल तक कर देते हैं।

एकतरफा धर्मनिरपेक्षता के रोग से ग्रस्त कुतर्की वामपंथी एवं  कांग्रेसी इन परिघटनाओं को महज संयोग कहकर खारिज कर देंगे या नारी स्वतंत्रता , जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता जैसे बेफिजूल बहसों में उलझाकर गायब कर देंगे। परन्तु सत्य इससे इतर है एवं लव जिहाद के हकीकत को स्वीकार कर इसका प्रतिकार करने की जरूरत है।ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दू लड़कियां ही इसकी शिकार हो रही हैं। अन्य मत मजहब की लड़कियों को भी जिहादी दरिंदों ने निशाना बनाया है।

हाल ही में केरल के एक प्रभावशाली कैथोलिक चर्च ने यह आरोप लगाया कि इसाई समुदाय की लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया जा रहा है। इन लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर इनका इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के वैश्या के रूप में किया जा रहा है।साथ ही इन्हें अन्य आतंकीघटनाओं में भी धकेल दिया जा रहा है।ऐसा न करने पर इन्हें गंभीर शाररिक यातनायें दी जा रहीं हैं।

वरिष्ठ वामपंथी नेता वी.एस. अच्युतानंदन ने जुलाई 2010 में बतौर केरल के मुख्यमंत्री दिल्ली में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा था- ‘‘समूचे केरल के इस्लामीकरण की साजिश चल रही है। वहां सुनियोजित तरीके से हिन्दू लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़कों के निकाह करने का षड्यंत्र चलाया जा रहा है।

यह सत्य है कि वर्तमान कानूनों के अंतर्गत लव जिहाद की कोई परिभाषा नहीं है।लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि ये समस्या विकराल होती जा रही है।

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि अंतरजातीय विवाह जातिवाद को खत्म कर सकता है। यह भी सच है कि अंतर धार्मिक विवाह धार्मिक पहचान के उभार को कम कर सकते हैं। पर परेशानी का सबब तब है कि जब इस विवाह या रिश्ते की डोर फरेब एवं छल पर टिकी हो जैसा कि लव जिहाद के मामलो में हो रहा है।

हालाँकि अभी भी इस कुत्सित कृत्य के प्रति जन चेतना का घोर अभाव है एवं कई बुद्धिजीवी इसके वजूद से ही इनकार करते हैं पर भारत के जनसंख्या गणित को बदलने की यह एक गंभीर साजिश है। इस्लामिक कट्टरपंथियों से लेकर उदारता का चोला ओढ़े बॉलीवुड तक इस साजिश में लिप्त है।

प्रश्न यह है कि इसका प्रतिकार किस तरह से किया जाय।शुतुरमुर्ग की भांति रेत में सर छुपा लेने से ये तूफान चला नहीं जाएगा। इस हकीकत को स्वीकार कर इससे लड़ने के प्रभावी कदम उठाने होंगे। अभिभावकों को अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा के लिए प्रेरित करना होगा। इससे धर्म परिवर्तन की संभावनाएं क्षीण होंगी।अभिभावक जासूसी न करें पर थोड़ी बहुत निगरानी उन्हें अपने बच्चोंपर रखनी  होगी । उन्हें ध्यान रखना होगा कि किस प्रकार के लोगों से उनके बच्चों की मित्रता है।आज़ादी एवं निजता वर्तमान समय मे नितांत रूप से आवश्यक हैं पर किसी भी चीज की अधिकता विनाश का सृजन करती है। अभिभावकों के लिए यह भी आवश्यक है वो बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार रखें ताकि ऐसी किसी समस्या के आने पर वो निसंकोच अपनी तकलीफ बता सकें। हिन्दू संगठनों को भी अन्य धर्मों के साथ मिलकर इस संबंध में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

अंतरजातीय या अंतर धार्मिक विवाह गलत नहीं हैं। परंतु लव जिहाद प्रेम न होकर प्रेम का प्रपंच है, छलावा है। जिसकी बुनियाद झूठ पर टिकी है। जो धर्म परिवर्तन करवाने का एक और जरिया है। वर्तमान समय मे मध्ययुगीन बर्बरता को जारी न रख पाने का एक तोड़ है। सच्चा प्रेम कभी जीवनसाथी को धर्म बदलने को मजबूर नहीं करता। बल्कि अपने मूल रूप में स्वीकार करता है।

धर्मनिरपेक्ष (तथाकथित)राजनीतिक दलों को कम से कम यह स्वीकार करना चाहिए कि लव-जेहाद एक सच है। देश का एक समूह कट्टरपंथी हो रहा है, जिसका संबंध वैश्विक इस्लाम से है। इनके नाम भले ही अलग-अलग हों, किंतु इनका नेतृत्व करने वालों के उद्देश्य समान हैं। यह एक बड़ी समस्या है, जिसका हम वर्षों से सामना कर रहे हैं किंतु भारत में पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दल राजनीति के कारण इन मुद्दों पर चर्चा करने से बच रहे हैं।’’ वास्तव मे लव जिहाद देश की सच्ची धर्मनिरपेक्षता , बहुलतावादी संस्कृति के लिए गंभीर समस्या है और इसका निदान करना बेहद जरूरी है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.