भारत में हिंदुओं के त्यौहारों पर बैन लगाने का जहरीला पैटर्न बढ़ता ही जा रहा हैं। बच्चों के हाथों से त्यौहारों की खुशियां छीनी जा रही हैं। कोर्ट और सरकारें लाखो लोगो के रोजगार, धर्मिक परंपराओं और पूजा पद्धतियों पर बिना किसी डाटा या तर्क के सीधा हमला करने पर आमादा । पढ़िए कपिल मिश्रा का लेख …

इस दीवाली दिल्ली एन सी आर में पटाखे चलाने और बेचने पर बैन हैं। देश में कई जगह पटाखे चलाने और बेचने वालों को पुलिस खींच खींच कर जेल में डाल रही हैं। पिछले साल ठीक दीवाली के दिन कई लोगों को उनके बच्चों के सामने से घसीटते हुए पुलिस जेल ले गई थी, उनका जुल्म सिर्फ इतना था कि वो अपने बच्चों के साथ परंपरागत तरीके से दीवाली मना रहे थे। अनार या फुलझड़ी जा रहे थे।

आज भारत के अनेक राज्यों में हिंदुओं पर दीवाली मनाने पर अलग अलग तरीके से बैन लगाए जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं पॉल्युशन की किसी भी रिपोर्ट में देश मे पॉल्युशन के प्रमुख 50 कारणों में भी पटाखा एक कारण नहीं हैं। कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट या डाटा नहीं जो कहता हो देश में प्रदूषण पटाखों को बैन करके कम किया जा सकता हैं। लेकिन कोर्ट ता सरकारें अपनी साल भर की असफलताओं को हर साल पटाखों पर बैन करके छिपाने की मूर्खतापूर्ण कोशिश करते हैं।

20 सालो से पॉल्युशन बढ़ता ही जा रहा हैं। लेकिन असफल सरकारें और कोर्ट साल में एक बार पटाखों पर बैन करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।

इस बैन का एक भयानक पहलू ये भी हैं कि करोड़ो पटाखों बनाने वाले , बेचने वाले बेरोजगार किये जा रहे हैं। उनकी रोजी रोटी छीनी जा रही हैं। और गरीबी में धर्म परिवर्तन की ओर धकेला जा रहा हैं।

आइये इस दीवाली पर एक प्रार्थना करें

काश…

एक दिन हिंदुओ के त्यौहारों पर बैन लगना बंद हो

हमारे बच्चों के हाथों से पटाखें छीनने वाले कोर्ट और सरकारों को होश आएं

पॉल्युशन के लिए किसानों और बच्चों को दोष देना बंद हो

हिंदुओं से परंपरागत पटाखों वाली दीवाली मनाने का अधिकार कोई ना छीन पाये

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