चलिए आखिरकार वो माँग भी देश की राजनीति में जोर शोर तरीके से उठा ही दी गई जिसका इंतज़ार पिछले कुछ समय से देश (यानि कांग्रेसियों का अपना एक अलग देश )कर रहा था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी ने देश के सामने ये मांग रखी है कि भारत के प्रति अब तक सोनिया गाँधी जी के अभूतपूर्व योगदान और उपलब्धि को देखते हुए उन्हें फ़ौरन ही भारत रत्न की उपाधि और पुरस्कार दे दिया जाना चाहिए।

सबसे पहले तो श्री हरीश रावत जी को , कांग्रेस की चरणचूम उच्च कोटि राजनीति में अव्वल आने के लिए और इतने बड़े निर्णय के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए। ऐसे में जब चरणलोट राजनीति की तीव्र प्रतियोगिता चल रही थी तो हरीश रावत जी ने एकदम नायाब माँग के साथ खुद को पहले पायदान पर ला दिया है।

वैसे कांग्रेस की भी एक विवशता है इस मांग को अभी और ऐसे उठाने के लिए। पहले की तरह अपनी सरकार होती तो आराम से खुद ही , खुद को ईनाम दे डालते। खुद ही बापू , खुद ही चाचा और खुद ही “सोनिया सारे देश की माँ हैं -सलमान खुर्शीद ” माँ मौसी काकी सब बन सकने की पॉवर हुआ करती थी और उस पावर का भरपूर उपयोग प्रयोग भी। तभी तो जमीन से लेकर पैसे तक सब पर नेहरू गाँधी ही चस्पा रहे इस देश में।

तो अब तो वो घपलों ,घोटालों वाले सुनहरे दिन चले गए और जनता का जो मूड दिख लग रहा है वो निकट भविष्य में कांग्रेस सिर्फ कागजों में पढ़ाई दिखाई समझाई जाने वाली एक पार्टी भर रह जाने वाली है ऐसे में अब दूर दूर तक राहुल गाँधी प्रधानमंत्री तो क्या निगम पार्षद भी बन सकेंगे इस बात की गुंजाइश अब बहुत कम हो गई है।

जिस तरह से लोगबाग , बात बात पर बारात के फूफा जीजा की तरह मुँह ;फुला कर अपने वजीफे पुरस्कार वापस करने की रेस लगाए हुए हैं उसे देख कर यदि सरकार ने ये पुरस्कार रत्न जवाहरात वाली परिपाटी ही ख़त्म कर दी तो फिर भारत रत्नों के इस महान परिवार में कोई भी बिना भारत रत्न पाए रह गया तो ये तो लोकतंत्र की सरासर हत्या हो जाएगी न।

वैसे भारत रत्न उन्हें दिया जाए या नहीं ये तो सरकार और प्रशासन ही जाने किन्तु उनके और उनके सुपुत्र के कारण इस देश को जितनी जल्दी कांग्रेस पार्टी के कुचक्रों और अकर्मठ ,भ्रष्ट ,बेईमान शासन से मुक्ति मिली इसके लिए पूरे देश की तरफ से उन्हें एक कड़क धन्यवाद तो बनता ही है।

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