असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा एक के बाद एक आतंकी गतिविधियों और आंतकियों को पनाह देने वाले मदरसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं. हाल ही में 3 मदरसों को आतंकी कनेक्शन के कारण ध्वस्त किया गया है और कई गिरफ्तार हुए हैं। लेकिन अब उत्तर प्रदेश की बारी है. दरअसल योगी आदित्यनाथ सरकार ने आदेश दिया है कि राज्य के सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे किया जाए और उनकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाए। मदरसों के सर्वे को लेकर सभी जिलों के डीएम को आदेश दिया गया है। इसके लिए 5 अक्टूबर, 2022 तक की समयसीमा भी तय की गई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सम्बन्ध में हुई एक बैठक में स्पष्ट किया गया कि सर्वे में SDM, BSA और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी मौजूद रहेंगे। ये रिपोर्ट DM को सौंपी जाएगी, जिसे वो आगे सरकार को बढ़ाएंगे। दरअसल, इसका उद्देश्य मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाना है। किस जिले में कितने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं और उनमें कितने छात्र तालीम ले रहे हैं, इसकी जानकारी भी जुटाई जाएगी। साथ ही इन मदरसों में जिनका संचालन ठीक से हो रहा होगा, उन्हें मान्यता के दायरे में भी लाने की योजना है. इसके अलावा किन मदरसों को कहां से फंडिंग मिल रही है, इसकी भी जांच की जाएगी। ‘उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड’ से उन मदरसों को मान्यता दिलाई जाएगी, जो इसके योग्य होंगे। इतना ही नहीं, सरकार को ये जानकारी भी हासिल करनी है कि इन मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षक कौन हैं और वो क्या पढ़ा रहे हैं। मदरसों का सिलेबस क्या है, रिपोर्ट में ये भी जुटाया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के मानकों के अनुरूप ये काम किया जा रहा है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने कहा कि बच्चों के मूल अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए ये आवश्यक है। पीने का पानी और फर्नीचर से लेकर बिजली सप्लाई और शौचालय की उचित व्यवस्था बच्चों के लिए आवश्यक हैं। मदरसों का संचालन कौन सी संस्थाएं कर रही हैं, इस पर भी सरकार की नजर होगी।

दरअसल राज्य में कई ऐसे मदरसे हैं जो NGO द्वारा संचालित हो रहे हैं, ऐसे में इन मदरसों की आय का स्रोत क्या है इसका पता लगाना ज़रूरी है। फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में 16 हजार 461 मदरसे संचालित हो रहे हैं। इनमें से 560 मदरसे सरकारी अनुदान से चल रहे हैं। पिछले 6 सालों से इस सूची में कोई नया मदरसा नहीं जुड़ा है। मदरसों में काम करने वाली महिलाओं को भी गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद छुट्टी देने का निर्देश दिया गया है।

दरअसल देश और उत्तरप्रदेश में मदरसों को लेकर बदलाव की तैयारियां काफी दिनों से चल रही हैं। केंद्र द्वारा पहले भी मदरसों को लेकर बदलाव लाने के लिए कहा गया है। जिससे भविष्य में मदरसों में हाईटेक तरीके से पढ़ाई होगी। वहीं उत्तरप्रदेश सरकार राज्य के मान्यता प्राप्त अनुदानिक मदरसों को अब और आधुनिक बनाने पर जोर दे रही है। उनके मुहिम में मदरसों के सिलेबस में बदलाव, कर्मचारियों द्वारा पारदर्शिता शामिल है। अभी तक इन मदरसों में पढ़ाई सिर्फ धार्मिक शिक्षा के लिए ही होती थी लेकिन अब इसके साथ हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कम्प्यूटर आदि को और ज्यादा प्राथमिकता देते हुए अनिवार्य कर दिया है।

जाहिर सी बात है कि सीएम योगी मदरसों की किस्मत फिर से जगाने की राह पर हैं. वे न केवल मदरसों को दूसरे स्कूलों की तरह शिक्षा देना चाहते हैं, बल्कि यह भी कोशिश कर रहे हैं कि दूसरे छात्रों की तरह मदरसा के छात्रों के साथ भी समान व्यवहार किया जाए . वहीं दूसरी तरफ हाल के दिनों में अलग-अलग राज्यों में मदरसों को आतंकियों के ट्रेनिंग हब के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इन मदरसों में तालीम के बजाय आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है. ऐसे में मदरसों का सर्वे और ज्यादा जरुरी हो जाता है.

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