“कांग्रेस में कार्यकर्ता बनकर रहना पड़ता है, नेता नहीं।”
“जितिन प्रसाद का जाना एक कूड़ा कूड़ेदान में डालने जैसी सामान्य क्रिया है।”
“जितिन प्रसाद का कांग्रेस पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद”
आप देख रहे है ना ये भाषा उस राष्ट्रीय पार्टी की है जो स्वयं को लोकतांत्रिक पार्टी बताती है। किसी ने सही कहा है, “रस्सी जल गई लेकिन बल नही गया”

कल तक जो जितिन प्रसाद जी कांग्रेस की आँखों के तारे थे, युवा नेता थे, पार्टी के मजबूत स्तम्भ थे आज वो जितिन प्रसाद जी कैसे कांग्रेस की आंख की किरकिरी बन गए ये जानना बहुत जरूरी है।
दरअसल जितिन जी ने कांग्रेस और उस घमंडी परिवार को आईना दिखा दिया और आईना भी ऐसा दिखाया कि शायद कोई और होता तो उसे खुद पर शर्म आने लगे लेकिन यहाँ तो हालात बिल्कुल उलट है। शर्म तो आना दूर की बात बल्कि ये इतने बेशर्म हो चुके है जिस व्यक्ति की तीन पीढियां पार्टी की सेवा में लगी हुई है आज वो ही व्यक्ति इन्हें “कूड़े” के समान नजर आने लगा है।

“विनाश काले विपरीत बुद्धि” ये कहावत कांग्रेस पार्टी और उस घमंडी परिवार पर बिल्कुल सटीक बैठती है। ये लोग घमंड में इतने डूबे हुए है कि इन्हें अपने अलावा सब में कमी नज़र आती है, इन लोगो की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है और यही कारण है कि ये लोग अपने हाथों से स्वयं के विनाश की तरफ बढ़ रहे है।

कांग्रेस पार्टी में हमेशा एक फॉर्मूला रहा है कि यदि आप गांधी परिवार की गुलामी करते हो तब ही आप पार्टी के लिए कुछ मतलब रखते हो अन्यथा आप को यहाँ कोई पानी के लिए भी नही पूछेगा।
ऐसे अनेकों उदाहरण है जैसे कि नरसिम्हा राव जी, सीताराम केसरी जी, प्रणब मुखर्जी जी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जी और अब जितिन प्रसाद जी।
मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री बनाकर खुद को देश की नज़रों में महान बनाना ये सब एक घटिया राजनीतिक चाल थी लेकिन देश अब सच जान चुका है, अब कांग्रेस और उस घमंडी गांधी परिवार की सारी असलियत लोगो के सामने आ रही है, जल्द ही ऐसी स्थिति होगी कि सिर्फ पार्टी के नाम पर कांग्रेस में ये घमंडी परिवार ही बचेगा।

अंत में लेख को समाप्त करते हुए कहना चाहता हूं कि अन्य राजनीतिक दलों को भी इस बात से सीख लेनी चाहिए कि देश में अब लोकतांत्रिक शासन है और यहाँ वंशवाद किसी भी स्थिति में नही पनप सकता क्योकि कांग्रेस का उदाहरण आप सभी के सामने है।

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