राजधानी दिल्ली को पिछले सात साल में मात्र 940 करोड़ रूपए की छोटी सी राशि खर्च करके प्रचार कर कर के पूरी दुनिया को प्रदूषण के विरूद्ध सर जी और उनकी “राजनीति में अलग करने का नारा लगाने वाली पार्टी के सभी योद्धाओं ने अपनी तरफ से कोई कोर कसार नहीं छोड़ी , मगर हवा से लेकर पानी तक सब का सब जहर हुआ जाता है।

सरकार ही जब स्टंटधारियों की पूरी फ़ौज से बनी हो तो परिणाम यही कुछ होता है आज शीर्ष अदालत ने -बीच कचहरी दिल्ली सरकार की खिंचाई की परिणीति करते हुए यह टिप्पणी कर दी की क्यों नहीं इस तमाशेबाज और प्रचार के लिए सारी तिकड़मों वाली योजनाओं में लगी इस सरकार से दिल्ली के प्रतिनिधित्व करने का अधिकार ले कर दुसरे विकल्प का प्रयोग किया जाए। सीधा सपाट कि -अरे कुछ तो करो , बातोलेबाजों ,बयानवीरों ,प्रचार की ठेलागाड़ी चलाने वालों।

न्यायालय ने दिल्ली सरकार की दूरदर्शिता के परखच्चे उड़ाते हुए उनसे ये जानना चाहा कि जब कि वे दिल्ली सरकार अपने मातहत कर्मचारियों को घर से काम करने की व्यवस्था दिए हुए है तो ऐसे में फिर मासूम बच्चों का क्या कसूर है कि उन्हें स्कूल जाने को बाध्य किया जा रहा है ,ये अजीब और गंभीर चूक का मामला है। नतीजतन स्कूलों को अनिश्चित समय के बंद किए जाने की घोषणा की गई।

न्यायालय ने अधिक तल्खी दिखाते हुए , ये तक जानना चाहा कि – थोड़े से पैसों के लिए सुबह से लेकर शाम तक रेड लाइट जैसी ,प्रदूषण से सर्वाधिक ग्रस्त बिंदुओं पर बैनर हाथ में लेकर -जिन गरीब युवक युवतियों को पूरे दिन खड़ा रखा जा रहा है उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी सुरक्षा की जिम्मेवारी किसके ऊपर है। न्यायालय ने अगले 24 घंटे के अंदर राजधानी दिल्ली की आबोहवा में घुली जहर से निपटने के लिए दोनों सरकारों को एकदम स्पष्ट योजना के साथ प्रस्तुत होने को कहा है।

गौरतलब है कि , सरकार ने अभी कुछ दिनों पहले ही राजधानी में लगभग 1000 शराब की दुकानों को खोले जाने की अनुमति दी है। दिल्ली अपराध में और उन अपराधों के सबसे मुख्य कारण शराब होने के बावजूद भी सरकार द्वारा अपनी उल जलूल योजनाओं और उससे भी बढ़कर उनके झूठे और अतिरेक से भरे प्रचार पर बेतहाशा पैसा बहाने लगाने के लिए फिर सरकार ऐसे ही समाज की रग रग में नशे का संचार करने लगती है , देर सवेर इसके गंभीरतम परिणाम भी देखने को सामने आएंगे।

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