पिछले सात सालों में , समस्याओं का बखान और उससे निपटने के अजीबोगरीब प्रयोगों वाले उपाय और फिर अथाह पैसा लगा कर , अपनी फोटो चेहरे के साथ लाखों करोड़ों का विज्ञापन – दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का यही दिल्ली मॉडल है ।

राजधानी दिल्ली की हर समस्या को नासूर का रुप देकर लाईलाज बना देने में माहिर केजरीवाल जब देखते पाते हैं कि , इस सारी बाजीगरी की पोल खुल रही है तो वे , या तो भाग खड़े होते हैं या उसका सारा ठीकरा केंद्र सरकार और दूसरी राज्य सरकारों पर डालते हैं और कुछ न हो तो फिर समस्या की तरफ आँख मूंद कर बैठ जाते हैं ।

दिल्ली में, यमुना नदी के प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि यमुना देश ही नहीं दुनिया के कुछ सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में एक है । हिंदुओं ,विशेषकर बिहार उत्तरप्रदेश में भगवान सूर्य के प्रति आस्था , श्रद्धा और विश्वास का पर्व नदी घाट पर ही मनाए जाने की परंपरा रही है । श्रद्धालु नदी जल में उतर कर भगवान को अर्घ्य देते हैं । मगर केजरीवाल सरकार यमुना के प्रदूषण को कम करने में नाकाम रहने पर , छठ महापर्व को ही प्रतिबंधित करने का फरमान जारी कर दिया ।

इससे पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण फैलने के नाम पर ,दीपावली में पटाखों के जलाने पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा दिया । किंतु इसके बावजूद भी दीपावली के बाद दिल्ली की आबो हवा में जहर बना ही हुआ है ।

अरविंद केजरीवाल द्वारा 7 वर्ष पहले यमुना नदी को साफ करके उसे पर्यटन पिकनिक के लिए उपयुक्त बनाने के दावे वाला वीडियो उन्हें दिखा सुना कर अब लोगबाग उनको और दिल्ली सरकार को आईना दिखा कर उनकी कथनी करनी का फर्क दिखा रहे हैं ।

ऐसा भी नहीं है कि केजरीवाल और उनकी सरकार ने इससे निपटने के लिए कोई उपाय नहीं किया या इस मद में धन खर्च नहीं किया हाँ ये अलग बात है कि समस्या से निपटने के उपायों , साधनों पर कम और आत्म प्रचार पर कहीं अधिक खर्च करने में ध्यान दिया ।

कचरा निस्तारण से लेकर , पानी , हवा , यातायात , चिकित्सा किसी एक भी समस्या के लिए पिछले सात सालों में केजरीवाल सरकार के पास कोई ठोस योजना कोई दूरदर्शी नीति नहीं है ।

हिन्दुओं के पर्व त्यौहार पर तरह तरह के प्रतिबन्ध लगाने वाली दिल्ली सरकार अपने प्रिय विशेष मज़हब वालों को तो दिल्ली जलाने , दंगे फसाद करने , सड़क जाम करने तथा पुलिस पर ईंट पत्थर फेंकने तक की छूट दे देती है मगर हिन्दूओं की बारी आते ही तानाशाही रवैया दिखाने लगती है ।

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