जब आप गूगल पर भारत में खोले गए पहले महिला स्कूल का नाम सर्च करेंगे तो आपको बताया जाएगा कि महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फूले ने महाराष्ट्र के पूणे में भारत के पहले महिला स्कूल की स्थापना किया था।  

अब जब आप इस तथ्य को और भी ज्यादा खोजने का प्रयास करेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह गलत तथ्य है, क्योंकि कि सही बात यह है कि भारत के पहले महिला स्कूल की शुरूआत सावित्रीबाई फूले ने नहीं किया था।

क्योंकि सच्चाई यह है कि भारत के पहले महिला स्कूल का नाम द बेकर कालेज फॉर वूमेन्स है, जिसकी स्थापना 1820 ईस्वी में हुई थी। इस स्कूल की स्थापना एमिला दोरथिया बेकर (Amelia Dorothea Baker) ने की थी, जो कि रिवर्न्ड हेनरी बेकर (Reverend Henry Baker) की पत्नी थी।


यह कालेज अब भी अस्तित्व में है और तस्वीर में दिखाया गया यह वही स्कूल है, जो कि केरल के कोट्टयम में स्थित है। इस स्कूल के साथ एक और स्कूल बेकर मेमोरियरल स्कूल भी सहअस्तिवत्व में हैं।

बेकर कॉलेज फॉर वुमेन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नई जीवंतता पैदा करने के लिए ‘बेकर इंस्टीट्यूशंस’एंड की परंपरा, भावना और गुणवत्ता बनाए रखने के आश्वासन के साथ महिलाओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए एक विशाल कदम है।

यह कॉलेज अपने छात्रों को अग्रणी शैक्षिक अनुभव और आविष्कारशील स्किल प्रदान करने का कार्य करता है और भारत के विषम समाज को सशक्त बनाता है। यह स्कूल अब अपने उम्र के 200 साल पूरा कर चुका है।

भारत में दूसरा गर्ल्स स्कूल कालीकृष्ण गर्ल्स स्कूल था, जो कि कोलकाता में है और इसकी स्थापना 1847 ईस्वी में हुई थी। इस स्कूल की स्थापना एक भारतीय कालीकृष्ण मित्रा ने की थी।

प्राप्त साक्ष्यों के मुताबिक किसी भारतीय द्वारा महिलाओं के लिए खोला गया पहला अधिकारिक स्कूल था और इसे खोलने के लिए कालीकृष्ण मित्रा को रूढ़िवादी लोगों के विरोध को भी झेलना पड़ा था।

इस स्कूल को भारतीयों द्वारा संचालित पहला गैर-सरकारी कन्या विद्यालय होने का भी गौरव प्राप्त है।.यह स्कूल भी अब भी अस्तित्व में है और 1 से 12 तक की पढ़ाई होती है। यह स्कूल अपनी उम्र के 173 साल पूरा कर चुका है और कोलकाता के गुप्ता कालोनी बरसात में स्थित है।

इसके बाद सावित्रीबाई फूले 1848 ईस्वी में तीसरे गर्ल्स स्कूल की स्थापना पूणे में भीडे वाड़ा की शुरूआत की थी। महान शिक्षाविद और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले को महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने के दौरान उन्हें कड़े संघर्षों को झेलना पड़ा था।

महिला अधिकारों की आवाज उठाने वाली फूले ने कन्या शिशु हत्या को रोकने के लिए भी काम किया था। इसके लिए उन्होंने अभियान चलाए और नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोला, ताकि उन्हें बचाया जा सके।

सावित्रीबाई फुले के पति महात्मा ज्योतिबा फुले को महाराष्ट्र और भारत में समाज सुधार आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण अगुआकार के रूप में जाना जाता है। ज्योतिबा ने पूरे जीवन महिलाओं और पिछड़ी जातियों को शिक्षित करने और उन्हें आगे बढ़ाने में बिताया। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए। वे सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और मार्गदर्शक थे।

इस तरह हम कह सकते हैं कि यह सत्य है कि फूले ने उस दौर में अच्छे काम किए और एक के बाद एक कई स्कूल खोले, लेकिन यह तथ्य गलत है फूले ने पहला गर्ल्स स्कूल खोला। क्योंकि इसके पहले ही 1847 में कालीकृष्ण गर्ल्स स्कूल खुल चुका था और उसके पहले भी बेकर मिशनरी स्कूल अस्तित्व में था।


खैर आपको सबको शिक्षक दिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। हमारा उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं, अपितु सही सूचना देना है। बाकी समाज का हर वह व्यक्ति सम्माननीय है, जिसने शिक्षा, जागरूकता और महिला उत्थान के क्षेत्र में गिलहरी योगदान भी दिया है।

दीपक पाण्डेय

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.