आज अफगानिस्तान कराह रहा है, पूरा देश दशकों से बर्बादी की कगार पर है…पीढियां गुजर गईं हैं..नस्लें भी आकर चली जाएंगी मगर इस देश की बर्बादी का सफर क्या कभी थमेगा? बारूद के ढेर पर कट्टरता का बुर्का ओढ़कर बैठे इस मुल्क का मुस्तकबिल सिफर है…और इसके पीछे रीजन है आपके हमारे पुरखों का श्राप…जी हां गांधारी के श्राप के कारण अफगानिस्तान का बुरा हाल है जो श्राप गांधारी ने अपने भाई शकुनि को दिया था। दरअसल पिछले 5000 सालों से भारत का अफगानिस्तान के साथ संबंध है।
दरअसल कथा कुछ यूं है कि जब शकुनि ने भीष्म से बदला लेने के लिए महाभारत का युद्घ करवाकर कुरु वंश का नाश करवा दिया तो आहत गांधारी ने अपने भाई शकुनि को श्राप दिया कि तुम्हारे गांधार में कभी शांति नहीं होगी और तुम्हारा देश समूल नष्ट हो जाएगा। गौरतलब है शकुनि का देश गांधार आज का कंधार ही है… कांधार को पहले गांधार के नाम से बुलाया जाता था।
अपने सौ पुत्रों के महाभारत के युद्ध में मारे जाने के बाद गांधारी बेहद भावुक हो उठी थी और उसने अपने भाई शकुनी को उसके षड्यंत्र के चलते रुष्ट होकर श्राप दिया। करीब 5500 साल पहले राजा सुबल गांधार पर राज करते थे। उनकी पुत्री का नाम था गांधारी। गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार धृतराष्ट्र के साथ हुआ था। गांधारी के एक शकुनि नामक एक भाई था। पिता की मृत्यु के बाद गांधार का सारा राजपाट शकुनि के हाथ में आ गया। भीष्म ने राजा सुबल के पूरे परिवार हो नष्ट कर दिया था तो उसका बदला लेने के लिए शकुनि ने कौरव और पांडवों को आपस में लड़वाकर पूरे हस्तिनापुर का नाश करने की साजिश रची थी। अपने 100 पुत्रों को खोने के बाद गांधारी ने क्रोध की अग्नि में जलते हुए शकुनि को यह शाप दिया था, ‘मेरे 100 पुत्रों को मरवाने वाले गांधार नरेश तुम्हारे राज्य में कभी शांति नहीं रहेगी।’
अब जब तालिबान ने फिर से अफगानिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया है गांधारी के उस शाप को लेकर एक बार फिर चर्चा आरंभ हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि गांधारी के शाप के दंश से गांधार आज तक उबर नहीं पाया है। काबुल में विस्फोट हो गए हैं, तालिबान – IS जैसे दुर्दांत संगठन अफगानिस्तान की ज़मीन पर खून की नदियां बहा रहे हैं, औरतें-बच्चे बदहवास हैं, आदमी विमान से नीचे गिर रहे हैं… निश्चित ही इसके पीछे गांधारी की दुखी आत्मा से निकला शकुनि को श्राप है।
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