चाहे दिल्ली का संजय वन हो या हो बांदा। पूरे भारत में जमीन हड़पने का यह खेल साम, दाम, दंड और भेद की नीति पर चल रहा है और इसकी नजर हिंदू आस्था के केन्द्र बामदेवेश्वर पर्वत पर पड़ चुका है।

आपको बता दें कि बांदा के छाबी तालाब मोहल्ले स्थित बामदेवेश्वर पर्वत हिंदू आस्था का केंद्र है जिसमें भगवान भोले नाथ का मंदिर है, जिसमें सदियों से हम लोग पूजा करते चले आ रहे हैं। इसी पर्वत की गुफाओं में बैठकर बामदेव ऋषि ने तपस्या की थी व शिवलिंग की स्थापना की थी और वामदेव ऋषि के कारण ही शहर का नाम बाँदा पड़ा।

स्थानीय लोगों के मुताबिक 2 साल पहले कुछ लोग यहां आए और कहा कि यहां हमारे पुरखे दफन हैं हमें यह जमीन दे दो हम यहां मजार बनाएंगे। उन्होंने स्थानीय भोलेभाले लोगों को डराते हुए कहा कि अगर तुम लोगों ने जमीन नहीं दी तो तुम्हारे बच्चे पागल हो जाएंगे और सब मर जाओगे।

इस प्रकार अंधविश्वास आडंबर और डर दिखाकर उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया और वहीं पर मस्जिद का निर्माण कर लिया। इतना ही नहीं ये लोग एक मस्जिद बनने के बाद अब वे इसी क्षेत्र में तीन-चार अन्य जगहों पर भी मस्जिद बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

इस पर्वत के चारों ओर इस्लाम धर्म को मानने वाला कोई भी व्यक्ति  नहीं रहता है। फिर भी यह लोग इस पर्वत पर कब्जा करने की साजिश रच रहे है। एक समय पहले इस पहाड़ के चारों ओर कोई मकान नहीं थे। लेकिन अब अवैध कब्जों का सिलसिला शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले छाबी तालाब की ओर पहाड़ के नीचे मस्जिद का निर्माण भी कराया गया है।

इन मस्जिदों में बाकायदा नमाज भी शुरु हो गई है और यहां ऐसे तत्वों को शरण मिल रही है, जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं रहती। अक्सर यह तत्व रात के अंधेरे में आते हैं और सुबह होते ही चले जाते हैं। सरकारी जमीन पर अनधिकृत रूप से मस्जिद का निर्माण करने वाले व्यक्तियों से भी शासन-प्रशासन के द्वारा कोई पूछताछ नहीं की गई है।

पहाड़ तो वैसे भी सरकारी सम्पत्ति हुआ करती है, लेकिन एक मस्जिद खुटला की तरफ बन गई है तो दूसरी छाबी तालाब की ओर। अब एक और मस्जिद बनने की तैयारी चल रही है।

सिमिया नाम की अनुसुचित जाति की महिला ने एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए बताया कि 2 साल पहले कुछ मुसलमान आये थे और कहने लगे कि यहां पर मुर्दा है, इस पर मजार बनानी है। पहले तो सिमिया देवी ने मना किया पर उन लोगों ने उसे अंधविश्वास में डराते हुए कहा कि यदि यहां मजार नहीं बनी तो तुम्हारा लड़का मर जायेगा।

इस पर वह गरीब दलित महिला सिमिया देवी डर गयी और उसने उन्हें इजाजत दे दी। पर उसे तब बहुत बुरा लगा कि मजार बनाने के लिए 4 फिट लम्बी जगह की बजाये उन लोगों ने काफी बड़ी जगह पर मस्जिद का निर्माण करना शुरू कर दिया।

सिमिया देवी ने लगातार विरोध किया पर उसकी आवाज पहाड़ से नीचे नहीं आई। लिहाजा वो मस्जिद आज हिन्दू आस्था के केन्द्र वामदेवेश्वर पर्वत पर सिमिया देवी को धोखा देकर पूरी शान से खड़ी अट्टहास कर रही है। सिमिया कहती हैं कि मजार बनाने के नाम पर धोखे से जमीन मांगी थी, पर ताजमहल बना डाला”।

इस बारे में विश्व हिन्दू परिषद के नगर अध्यक्ष महेन्द्र चौहान का कहना है कि इस पर्वत पर कभी भी कोई मस्जिद नहीं रही, यह हिन्दू आस्था का केन्द्र है, फिर भी यहां मस्जिद बनाया जाना इस ओर इशारा करता है कि कुछ लोग शान्तिपूर्वक नहीं रहना चाहते। दूसरी तरफ खुटला में भी पहाड़ के नीचे एक देवी मन्दिर है। हिंदू धार्मिक स्थलों के आसपास मस्जिद का निर्माण होने से कभी भी विवाद हो सकता है। क्योंकि इन्हीं विवादों की वजह से काशी, मथुरा और अयोध्या भी घिरे थे।

भगवान राम की जन्मभूमि का फैसला तो सुप्रीम कोर्ट में चली लम्बी प्रक्रिया के कारण हो गया पर काशी और मथुरा में भी इसके बाद विरोध के स्वर प्रबल होने लगे हैं। यहां पर भी वो स्थिति यहां पर भी न आये इसलिए प्रशासन को चाहिए कि पहाड़ के आसपास से अतिक्रमण हटाया जाए अन्यथा विरोध के स्वर उठे तो स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। यहां एक एक तरह से यह बांदा में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश  है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाजायज ढंग से बनाई गई मस्जिद को नहीं हटाया गया तो आक्रोश बढ़ेगा, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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दीपक पाण्डेय

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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