द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से पहले भी देश में एक वर्ग व्याकुल था और अब जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बन गईं तो भी कुछ लोगों के कलेजे पर ऐसे सांप लोट रहा है कि पूछिए मत. इसी कड़ी में इंडिया टुडे जैसे बड़े संस्थान का नाम सामने आता है. दरअसल भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ जहरीले बोल बोलने वालों के तार इंडिया टुडे से जुड़ा होना और साथ ही उसी इंडिया टुडे पर उन लोगों को अपने चैनल के डिबेट में एक पैनेलिस्ट के रूप में बुलाना जो एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद पर बैठा नहीं देख सकता वाकई चैनल की सोच पर सवाल उठाने के लिए काफी है.

देखा जाए तो आदिवासी समाज के लोगों के लिए इंडिया टुडे की नफरत नई नहीं है. दरअसल, जिस दिन से द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति पद के लिए बतौर एनडीए प्रत्याशी के रूप में घोषित हुआ था उसी दिन से देश में विपक्षी दलों के साथ एक कुंठित वर्ग भी बिलबिलाया हुआ था. इन लोगों में बेचैनी इस बात की थी कि आदिवासी समुदाय और उसमें भी एक आदिवासी महिला भला देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कैसे आसीन हो सकती है ?

सबसे पहले इंडिया टुडे मीडिया ग्रुप के महाप्रबंधक ने निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट की . यह विवादित पोस्ट इंद्रनील चटर्जी ने की थी जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. भारत से भले ही अंग्रेज दशकों पहले चले गए हों लेकिन आज भी कुछ लोगों के अंदर अंग्रेजियत का ऐसा कीड़ा है जो रह-रह कर उन्हें काटता है. कुछ ऐसा ही हाल है इंद्रनील चटर्जी का. जिस कुत्सित मानसिकता के साथ इंद्रनील ने द्रौपदी मुर्मू समेत पूरे आदिवासी समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिश की उससे यह साफ दिखता है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले एक मीडिया संस्थान में काम करने के बाद भी इंद्रनील की सोच कुत्सित ही रही।

अपनी पोस्ट में भारत के राष्ट्रपति पद का जिक्र करते हुए इंद्रनील ने लिखा, “आज हमने रायसीना हिल्स की उस कुर्सी को ही नहीं बल्कि एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी, एस राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, डॉ शंकर दयाल शर्मा, राजेंद्र प्रसाद और अन्य जैसे कुछ महान आत्माओं को भी अपमानित किया है”. इतना ही नहीं इंद्रनील चैटर्जी ने लिखा कि “कुछ कुर्सियां सभी के लिए नहीं होती। क्या हम एक सफाईकर्मी को दुर्गा पूजा करने की अनुमति देते हैं. हमने न केवल रायसीना हिल्स की कुर्सी बल्कि कुछ महान आत्माओं को भी अपमानित किया है.” हालांकि पोस्ट वायरल होने के बाद इंद्रनील ने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया। विवाद बढ़ता देख इंडिया टुडे ने कोलकाता स्थित अपने उप महाप्रबंधक इंद्रनील चटर्जी की सेवाओं को समाप्त कर दिया है और उन्हें समूह से निकाल दिया है।

वहीं इसी लिस्ट में एक और मैडम हैं जिन्हें अंग्रेजी वाले कीड़े ने ऐसा काटा है कि मानो अंग्रेजी का इस्तेमाल कर खुद को एलिट क्लास का ढिंढोरा पीटने वाले किसी को भी नीचा दिखा सकते हैं. ये वामपंथी मीडिया संस्थान “द वायर” के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी नंदिनी सुन्दर हैं. इंडिया टुडे के अंगेजी वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई के कार्यक्रम में डिबेट के दौरान नंदिनी सुन्दर ने कहा कि “मुझे यकीन नहीं है कि वह (द्रौपदी मुर्मू) आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होंगी जिस तरह से उन्हें प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है क्योंकि बीजेपी की सभी नीतियां आदिवासी विरोधी हैं”. नंदिनी सुन्दर ये बात उस समय कह रही थी जब उस डिबेट में झारखंड के CM हेमंत सोरेन भी पैनेलिस्ट के रूप में मौजूद थे. बता दें आपको हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मतदान किया था।

देखा जाए तो सच्चाई ये है कि इंडिया टुडे ग्रुप ने पहले अपने मंच पर नंदिनी सुन्दर को राष्ट्रपति के खिलाफ जहरीले बोल बोलने के लिए अपना प्लेटफार्म दिया फिर उसके बाद इंद्रनील चटर्जी जैसे कर्मचारियों की कुंठित सोच देश के सामने आयी. ये सारे उदाहरण ये बताने के लिए काफी है कि इंडिया टुडे ऐसे सभी लोगों को हमेशा से शह देने का काम करता रहा है .

 

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