68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने शुक्रवार को दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में साल 2020 में बनी फिल्मों के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा की है। बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन को फिल्म ‘तान्हाजी द अनसंग वॉरियर’ और साउथ सुपरस्टार सूर्या को तमिल फिल्म सूराराई पोट्रू के लिए बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड से नवाजा गया । ये कहना गलत नहीं होगा कि सूबेदार तानाजी मालुसरे के लिए इस फिल्म का ब्लॉकबस्टर होना उनके शौर्य के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। जिस योद्धा के शौर्य को वामपंथी इतिहासकारों ने पूरे भारत से छिपाने की कोशिश की उसे अजय देवगन और ओम राउत जैसे लोगों ने मिलकर एक बार फिर जीवंत किया है। अजय देवगन ने भारत के वास्तविक इतिहास के पुनरुत्थान के लिए तानाजी के जरिये बहुमूल्य योगदान दिया है।
Best Actor award goes to Ajay Devgan for Tanhaji: The Unsung Warrior and Suriya for Soorarai Pottru: IB Ministry#68thNationalFilmAwards pic.twitter.com/dyyHIN9XC4
— ANI (@ANI) July 22, 2022
साभार- ANI
दरअसल अजय देवगन उन चंद कलाकारों में शामिल हैं, जो कम से कम अपनी फिल्मों में सस्ती लोकप्रियता के लिए भारतीय संस्कृति या सनातन धर्म का अपमान नहीं करते। वैसे अजय देवगन ने इस बात का जिक्र कई बार अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर किया है कि उनका काम अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कई बार बताया है कि तान्हाजी तो मात्र शुरूआत है, वे ऐसे अन्य योद्धाओं की वीर गाथाओं को अपने ‘अनसंग वॉरियर्स’ के माध्यम से सामने लाएंगे।जिसे अब तक हमारे देश के वामपंथी इतिहासकारों ने छिपाया है. अजय देवगन ने इसके लिए अपने अगले प्रोजेक्ट के तौर पर वीर सुहेलदेव को चुना है, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर को छिन्न भिन्न करने वाले सुल्तान महमूद के भांजे गाजी सैयद सलार मसूद को बहराइच के युद्ध में हरा कर न सिर्फ उसके भारत में साम्राज्य स्थापित करने के इरादों को नेस्तोनाबूद कर दिया ब्लकि किसी भी विदेशी आक्रांता को लगभग 140 वर्ष तक भारत से दूर रखा। अजय इस बात का भी जिक्र कर चुके हैं कि अखंड भारत के आधुनिक रचयिता एवं मौर्य साम्राज्य के संस्थापक आचार्य चाणक्य को भी पर्दे पर नीरज पाण्डेय द्वारा निर्देशित ‘चाणक्य’ के माध्यम से सामने लाएंगे।
आज जहां एक तरफ बॉलीवुड का एक खेमा हर विषय को जाति और धर्म के चश्मे से देखने पर ज़ोर दे रहा है तो वहीं अजय देवगन जैसे कुछ अभिनेता ऐसे भी हैं, जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है. तानाजी को ‘जाति या क्षेत्र’ की बेड़ियों में न जकड़कर उन्होंने उनके महत्व को उचित स्थान दिया है, जिसके लिए वे निस्संदेह प्रशंसा के योग्य है। अजय देवगन इन दिनों एक ऐसे रास्ते पर चल रहे हैं जिसके जरिये वे न केवल बॉलीवुड की छवि सुधार रहे हैं ब्लकि वामपंथियों को भी चुनौती देते दिखाई दे रही है।
सच कहें तो जिस फिल्म इंडस्ट्री को अक्सर सनातन धर्म के अपमान को लेकर इन दिनों आलोचना झेलनी पड़ रही है वहां अजय देवगन जैसे कलाकार अभी भी भारतीयों में इस इंडस्ट्री के प्रति आशा बनाए हुए हैं।
दरअसल इन दिनों बॉलीवुड फ़्लॉप फिल्मों के अलावा दर्शकों को कुछ और दे नहीं पा रहा है. और तो और हाल के दिनों में बॉलीवुड की फिल्मों के जरिये हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया जा रहा है. हिंदु विरोधी नैरेटिव चलाने का एक ट्रेंड चल पड़ा है . इसका ताजा उदाहरण है ‘शमशेरा’. फिल्म विश्लेषकों का कहना है कि एक तो बॉलीवुड के पहले से ही बुरे दिन चल रहे हैं, ऊपर से ‘शमशेरा’ को सुस्त प्रतिक्रिया ने सब गुड़-गोबर कर दिया। दरअसल इस फिल्म में संजय दत्त जिस शुद्ध सिंह के कैरेक्टर में दिखाई दे रहे हैं उसी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. शुद्ध सिंह को एक त्रिपुण्ड-शिखा वाले व्यक्ति के रूप में अत्याचार, क्रूर और ‘मां की’ जैसे शब्दों को बोलते हुए दिखाया गया है। उससे तो यही लग रहा कि वह धार्मिक मान्यताओं में आस्था रखने के बावजूद अपने कर्म से वो खूंखार और वहशी है. ये स्वाभाविक है कि हिंदूवादी प्रतीकों में आस्था रखने वाले किसी व्यक्ति को इस तरह के प्रतीकों में देखकर उसकी आस्था चोट पहुंचेगी .
यही सारी वजह है कि दर्शक दक्षिण भारत की फिल्मों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. लेकिन अजय देवगन ने अपनी फिल्मों के जरिये एक बार फिर कोशिश की है बॉलीवुड की छवि को सुधारने की जो काबिले तारीफ है.
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