17 साल पहले जिस जंगलराज के समूल नाश का नारा देकर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक बिगुल फूंका था, उस जंगलराज की स्थिति में रती मात्र भी सुधार नहीं हुआ है। ये कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार सुशासन के नाम पर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं.
ये बाते हम यूं ही हवा में नहीं कह रहे हैं बल्कि इसका ताजा उदाहरण है बिहार के अररिया जिले में दिन-दहाड़े पत्रकार की हुई हत्या। मृतक की पहचान विमल कुमार यादव के रूप में हुई है। वे दैनिक जागरण में पत्रकार थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार 18 अगस्त 2023 को सुबह 4 बदमाशों ने उनके घर में घुसकर उन्हें गोली मार दी। रिपोर्टस के अनुसार, मामला जिले के रानीगंज थाना क्षेत्र का है। शुक्रवार सुबह विमल कुमार यादव अपने घर में सो रहे थे। तभी 4 आरोपी घर में घुस आए। इसके बाद उन्हें नींद से जगाकर उनके सीने में ताबड़तोड़ गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। गोली लगने के बाद उनकी पत्नी ने शोर मचाकर आसपास के लोगों को बुलाया।
बता दें आपको इससे पहले विमल कुमार के सरपंच भाई शशिभूषण उर्फ गब्बू यादव की साल 2019 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है और विमल कुमार अपने भाई की हत्या के इकलौते गवाह थे। विमल कुमार की हत्या को उनके भाई के केस से जोड़कर देखा जा रहा है। बदमाशों ने उन्हें कई बार गवाही देने से मना किया था।
कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में सुशासन सिर्फ नीतीश कुमार के ट्वीटर हैंडल और उनके मंत्रियों के जुबान पर ही होता है, जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इससे पहले नवंबर 2021 में बिहार के ही मधुबनी जिले में संदिग्ध हालात में हुई एक युवा पत्रकार बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश की मौत हो गई थी, अविनाश भी एक निर्भीक पत्रकार थे जिन्होंने मधुबनी के निजी अस्पतालों का पर्दाफाश किया था .
जाहिर तौर पर बिहार में बढ़ रहे अपराधों को लेकर सुशासन बाबू पर सवाल उठना लाजमी है. आश्चर्य होता है कि आखिर नीतीश कुमार किस तथ्य के दम पर ये कहते हैं कि बिहार में जंगलराज समाप्त हो गया है, क्योंकि जंगलराज की स्थिति तो जस की तस बनी हुई है. ये कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार और आरजेडी के महागठबंधन के बाद बिहार में एक बार फिर तेजी से क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। 1990 में जब लालू प्रसाद यादव ने बिहार की कमान मुख्यमंत्री के रूप में संभाली थी तब उस दौर को कौन भूल सकता है जब बिहार में लगातार बाहुबली उभर रहे थे, लूट, डकैती और रंगदारी चरम पर था. वही बिहार दोबारा लौटने लगा है.
हम ये कैसे भूल सकते हैं कि वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासन को जंगलराज बताकर जब पहली बार जेडीयू नेता नीतीश कुमार एनडीए के नेतृत्व में मुख्यमंत्री बने थे, तो उनका कहना केवल यही था कि बिहार को जंगलराज से मुक्त कर देंगे। लेकिन हाय री राजनीति और कुर्सी का मोह इससे नीतीश कुमार बच नहीं पाएं और सत्ता की लालच में बिहार को बर्बाद कर दिया. आखिर में सबसे बड़ा सवाल क्या बिहार में लौट रहा है लालू वाला जंगलराज?
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