नकली नेता, दंगा कराने वाले लोग नहीं, कपिल मिश्रा है गरीबों के असली कर्णधार
राजस्थान के करौली जिले में एक 50 वर्षीय मन्दिर के पुजारी को जिन्दा जला दिया गया था। उसके बाद से ही पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। पुजारी बाबू वैष्णव के परिवार में उनके अलावा कोई कमाने वाला नहीं था। आज जब उनके पूरे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा था, तब भाजपा के युवा नेता कपिल मिश्रा उनके परिवार के लिए कर्णधार बनकर आगे आए। जब राजस्थान सरकार के हुक्मरान राजनीति करने में व्यस्त थे तब कपिल मिश्रा सोशल मीडिया के माध्यम से पुजारी के परिवार के लिए 25 लाख 10 हजार रुपए जुटा लिए।
इतना ही नहीं कपिल मिश्रा खुद उन पैसों को लेकर करौली के उस परिवार से मिलने आए। पूरे परिवार को सब्र बंधाया और वादा किया कि जब भी आपको जरुरत होगी, मैं आपके साथ खड़ा रहूँगा। जहाँ ऐसे मामलों में नेताओं और सरकार को सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने की लगी रहती है वहाँ भाजपा का यह युवा नेता कर्णधार बनकर चला आया। यही तो कारण है कि भाजपा के नेता दूसरी पार्टियों से अलग क्यों है। उत्तरप्रदेश के हाथरस में विपक्षी नेताओं की राजनीति चमकाने के टूरिज़्म को देश की जनता ने देखा भी था।
हालांकि, यह पहला मौक्का नहीं है जब कपिल मिश्रा किसी परिवार के लिए सारथी बने। इससे पहले इसी साल की शुरूआत में दिल्ली दंगो के बाद कई परिवारों को वापस पटरी पर लाने का ठाना था और इसमें कामयाब भी हुए। उसी समय भी सोशल मीडिया के माध्यम से करोडो रुपए जुटाये थे और दिल्ली दंगों में अपने घर, नौकरी, धंधा और अपने परिवार के कमाने वाले लोगों की जिन्दगी गंवाने पर उन परिवारों की कपिल मिश्रा ने आर्थिक सहायता की थी। उन लोगों के जीवन को वापस पटरी पर लाने का काम कपिल मिश्रा ने किया था। किसी की दुकान जला दी गई तो उसको वापस दुकान बनाकर दी। किसी का घर टूट गया तो उसको नया घर बनवाकर दिया और किसी के परिवार का चिराग उजड़ गया तो उस परिवार को आर्थिक सहायता दी।
यही कारण है कि नकली नेता जो राजनैतिक फायदे के लिए अपनी रोटियां सेकते है। ऐसे लोग जो समाज में भड़काना या दंगे करवाने में व्यस्त रहते है, वे कभी गरीबों के मसीहा हो ही नहीं सकते। दिल्ली दंगो और करौली की घटना के बाद उस परिवार के साथ खड़ा होना, यह साबित करता है कि गरीबों और इस समाज के असली कर्णधार कपिल मिश्रा ही है। इनकी यही खूबी दूसरे नेताओं से अलग बनाती है। उनकी लोकप्रियता का प्रमाण दिल्ली से करौली आते वक्त लोगों के द्वारा उनको दिए गए प्यार एवं स्नेह ने ही साबित कर दिया।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.