जिनका बचपन 90 के दशक में उत्तरी भारत में गुज़रा हो , उन्हें बताने की ज़रूरत ही नहीं कि राम मंदिर क्या है । उसमें भी जो अयोध्या के आस पास के हों , उनका तो पूछिए ही मत । वैसे तो ये लड़ाई सदियों पुरानी है , पर वर्तमान में जो लड़ाई भाजपा और विश्व हिंदू परिषद ने साधु-संत समाज के साथ लड़ी है , उसके साक्षी सभी भारतीय रहे हैं ।
“मंदिर से क्या होगा “ या “मंदिर की जगह स्कूल , चिकित्सालय बनवाओ “ जैसे तथाकथित आधुनिकता विचार रखने वालों से अपनी कभी बनी नहीं , और अब उम्र का तक़ाज़ा ये है कि वो हमें शायद ओल्ड स्कूल समझते हों , पर सच यही है कि हम सबके लिए राम मंदिर, एक मंदिर ना होकर एक इमोशन है ।
बचपन की कुछ घटनाएँ याद हैं । पहली बार जब कारसेवा के लिए लोग जुटे थे । उस बार ज़्यादा कुछ हुआ तो नहीं था , पर भीड़ की एक जुटता ने सरकार की नींदें हराम कर दी थीं । उस दिन भी पड़ोस के रहने वाले , जिन्हें हम चाचा कह kar बुलाते है , रात में ही मिठाई खिलाने आ गए । आंदोलन दब चुका था , फिर भी उनका कहना था की इतना हुआ है , आगे भी हो जाएगा ।
रथयात्रा के साक्षी भी बने।
जिस रोज मस्जिद का ढाँचा गिरा था , उस वक़्त हम लोग एक शादी में गोंडा ( अयोध्या के पास ही एक शहर ) में थे । शादी के कार्यक्रमों के लिए एक स्कूल के भवन को लिया गया था । अचानक कर्फ़्यू लगा दिया गया था । सरकार और इस्तीफ़ा क्या होता है, पता नहीं था – पर ये पता था कि कल्याण सिंह , जो मुख्यमंत्री थे , उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था । क़रीबन 2 हफ़्ते उसी स्कूल में बिताए , फिर जब ढील दी गयी तब वहाँ से निकले । संघ का स्कूल था , तो पुलिस को आते , पूछताछ करते भी देखा । “अब मंदिर बना ही बना” ये बातें होने लगीं थीं ।
उसके बाद UP की राजनीति बदल गयी । ख़ुद की समझ भी बनी तो बातें और समझ आने लगीं ।
मुलायम-कांशीराम साथ आए । भाजपा वापस नहीं आयी । फिर भाजपा – मायावती साथ आए । एक बार तो तय हुआ की कल्याण सिंह और मायावती 6-6 महीने सरकार चलाएँगे । पर कल्याण सिंह की बारी आने के कुछ समय बाद ही सरकार गिरा दी गयी । उसके बाद आया वो भूचाल जिसमें रातों रात , कल्याण सिंह ने सपा-बसपा , सबके विधायक तोड़कर अपनी सरकार बनायी , 100 के क़रीब लोग मंत्री बन गए । विधानसभा में हाथापाई देखी । एक – एक दिन के मुख्यमंत्री देखे । कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ दी । राजनाथ सिंह भी मुख्यमंत्री बने , उसके बाद एक लम्बे अरसे के लिए UP से भाजपा चली गयी ।
जातिगत लड़ाई में नहाए , UP में मंदिर की आवाज़ सिर्फ़ चुनावों में ही सुनी गयी इस दौरान । केंद्र में अटल जी की सरकार ने आर्कियोलोजिकल सर्वे शुरू करवाया , पर इससे पहले की उसका कुछ उपयोग होता , अटल सरकार भी चली गयी । उसके बाद राम मंदिर सिर्फ़ सपना रह गया ।
फिर आया 2014 । भाजपा के लिए UP की कमान सम्भाली अमित भाई शाह ने । मंदिर , मुद्दा था भाजपा का , पर विरोधी बोलते थे की “मंदिर वहीं बनाएँगे , पर तारीख़ नहीं बताएँगे “ । पर UP ने अप्रत्याशित सफलता दी भाजपा को । दशकों बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार बैठी केंद्र में । तब तक मंदिर का केस भी सर्वोच्च न्यायालय में पहुँच गया , अब चूँकि एक पक्षकार UP सरकार भी थी , जहाँ अभी भी भाजपा नहीं थी , सो केस बहुत बढ़ नहीं पाया । उच्च न्यायालय तककाम हिंदी में हुआ और उन सारे काग़ज़ों को अंग्रेज़ी में करवाना था , ये काम भी 2017 तक कच्छप गति से ही चला ।
फिर आया 2017 का UP चुनाव । सारे गणित को धता बताते हुए , योगी आदित्यनाथ UP के मुख्यमंत्री बने । मंदिर की कहानी यहाँ से नए मोड़ पर आ गयी । कोर्ट में काम द्रुतगति से बढ़ा । लगा की जस्टिस मिश्रा ही फ़ैसला सुनाएँगे इस केस का । पर कभी केस को उलझाया गया और कभी ख़ुद जस्टिस मिश्रा पर महाभियोग चलाने की बात की गयी । उनके रिटायर होने के बाद और 2019 के चुनावों से ठीक पहले मध्यस्थता वाली बात आने के बाद मंदिर मुद्दा फिर अटकता दिखा । 2019 के चुनाव में भाजपा फिर मंदिर मुद्दे के साथ थी , विरोधी फिर तंज कस रहे थे ।
पर 2019 , 2014 से भी बड़ी सफलता लेकर आया भाजपा के लिए । मध्यस्थता फ़ेल हुई और मामला जस्टिस गोगोई ने अपने पास रखा । रोज सुनवायी हुई और अपने रिटायरमेंट के ठीक पहले , जस्टिस गोगोई ने वो फ़ैसला सुनाया जो आने वाली सदियों तक याद किया जाएगा । सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला क़ानूनी होने के साथ साथ ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी है । ये उन तमाम लोगों के मुँह पर तमाचा है जो कभी राम को काल्पनिक तो कभी मंदिर को काल्पनिक बोलते आए थे । हमारे इतिहास को “mythology” कहते आए थे । कभी सेक्युलरिज़म के नाम पर मंदिर ना बनने देने की तमाम जुगत भिड़ाते रहे ।
आने वाली 5 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे । अयोध्या में तो अभी ही उत्सव का माहौल है जो अभूतपूर्व है । देश – विदेश में चर्चा है , ये एक सपने के पूरे होने की शुरुआत के आहट है । और हम इसके साक्षी हैं , ये गर्व की बात है । राम के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाने वाले भी भूमिपूजन में आना चाह रहे है । पर माहौल कुछ ऐसा बन गया है :
मंदिर भव्य बनाएँगे , दिनांक भी बताएँगे , पर तुमको नहीं बुलाएँगे !!!
राजा राम अपनी समस्त प्रजा का भला करेंगे , ऐसी प्रार्थना है !!!!
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