भारत को अंग्रेजी हुकूमत से बचाने और देश को आजाद कराने के कई नौजवानों ने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया. 8 अप्रैल का दिन भी एक ऐसे वीर नौजवान की शहादत का दिन है जिन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी.

8 अप्रैल का दिन इन्ही मंगल पांडे को समर्पित है, आज मंगल पांडे की 165वीं पुण्यतिथि है. 1857 में देश को आजाद कराने के लिए पहली चिंगारी भड़काने वाले मंगल पांडे को आठ अप्रैल को ही फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया था. ये वो तारीख थी जब बंगाल की बैरकपुर छावनी का माहौल बिल्कुल उदास और शांत था. जैसे ही रेजिमेंट के सिपाही सुबह उठने की तैयारी कर रहे थे उसी समय उन्हें पता चला कि मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ा दिया गया है. तब क्या सभी अचंभित रह गए किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि मंगल पांडे को तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा. क्योंकि मंगल पांडे को 18 अप्रैल को फांसी दी जानी तय की गई थी.

ब्रिटिश हुकूमत को भारत से खदेड़ने के लिए आजादी की पहली चिंगारी किसी ने भड़काई थी तो वो थे मंगल पांडे. जिन्होंने युवा दिलों को देश के लिए धड़कना सिखाया था. मंगल पांडे ने बैरकपुर में 29 मार्च 1857 को अंग्रेज अधिकारियों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था. कोर्ट मार्शल के बाद उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी तय की गई थी. लेकिन माहौल खराब होने की आशंका की वजह से अंग्रजी हुकूमत ने गुपचुप तरीके से 10 दिन पहले ही उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया .

उन्‍हें बैरकपुर में 29 मार्च की शाम अंग्रेज अफसरों पर गोली चलाने और तलवार से हमला करने के साथ ही साथी सैनिकों को भड़काने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई. उस समय बैरकपुर छावनी में फांसी की सजा देने के लिए जल्लाद रखे जाते थे लेकिन उन जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से साफ मना कर दिया. तब अंग्रेजों ने मंगल पांडे तो फांसी पर लटकाने के लिए बाहर से जल्लाद बुलाए. बैरकपुर में कोई जल्‍लाद नहीं मिलने पर ब्रिटिश अधिकारियों ने कलकत्ता से 4 जल्‍लाद बुलाए. लेकिन जैसी ही ये खबर दूसरी छावनियों में पहुंची ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ असंतोष भड़क उठा. इसी वजह से जल्दी-जल्दी में चुपचाप मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 की तड़के जल्दी ही फांसी पर लटका दिया गया.

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